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Lodipur Massacre : जिस जमीन के लिए पांच ने गंवायी जान, वह आज भी पड़ा है बंजर

Lodipur Massacre : नालंदा के बहुचर्चित लोदीपुर सामूहिक हत्याकांड को लेकर सोमवार को स्थानीय बिहारशरीफ कोर्ट में गहमागहमी का माहौल रहा.

नालंदा के बहुचर्चित लोदीपुर सामूहिक हत्याकांड को लेकर सोमवार को स्थानीय बिहारशरीफ कोर्ट में गहमागहमी का माहौल रहा. लोग इस हत्याकांड में फैसला सुनने के लिये उत्सुकतावश पहुंचे हुए थे जबकि पीड़ित परिवार के लोग भी यहां सुबह से ही आये हुए थे. लगभग दोपहर 3 बजे न्यायालय का फ़ैसला आया और 17 लोगों में से 15 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी. दो नाबालिग आरोपियों का मामला किशोर न्याय परिषद में विचाराधीन है.तीन साल पहले जमीनी विवाद को लेकर सामूहिक हत्या का मामला सामने आया था.

एक ही परिवार के पांच लोगों की हुई थी हत्या 

4 अगस्त 2021 को छबीलापुर थाना क्षेत्र के लोदीपुर गांव में एक ही परिवार के पांच लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी. मृतकों में 60 साल के यदुनंदन यादव, उनके दो बेटे पिंटू यादव (30) और मधेश यादव (25), साथ ही परशुराम यादव के बेटे धीरेंद्र यादव (50) और शिवेंद्र यादव (32) शामिल थे. इस घटना में 4 अन्य लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए थे. 50 बीघा जमीन को लेकर दो पक्षों के बीच साल 2010 से विवाद चल रहा था. घटना के दिन एक पक्ष के लोग विवादित खेत को जोतने का प्रयास किया, जिसे रोकने गए दूसरे पक्ष पर गोलियों की बौछार कर दी गई थी.

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27 सितंबर को ही हुए थे सभी दोषी करार 

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय अखौरी अभिषेक सहाय की अदालत ने 27 सितंबर को लोदीपुर निवासी भोला यादव, रामकुमार यादव, विनय यादव, लालू यादव, गुड्डू यादव, छोटी यादव, नीतीश यादव, इंदु यादव, महेंद्र यादव, चिंता देवी, करमु बीघा के कृष्णा यादव, विनोद यादव, श्यामदेव यादव, मालिसांड़ गांव के अवधेश यादव एवं गया जिला के नीमचक बथानी थाना क्षेत्र के बथानी गांव निवासी अशोक यादव को हत्या, जानलेवा हमला और सशस्त्र अधिनियम के तहत दोषी करार दिया था.

20 वर्षों के जमीन विवाद का परिणाम है सामूहिक हत्याकांड 

लोदीपुर हत्याकांड 20 वर्षों के जमीन विवाद का परिणाम है जिसमें कई जिंदगिया उजड़ गयी और कई महिलाओं की सुहाग छीन गये. आज तक इन पीड़ित परिवारों की जिंदगी सूनी पड़ी है. बीते 4 अगस्त 2021 को गांव में विवादित खेत को ट्रैक्टर से जोतने का विरोध करने पर पट्टीदारों ने अपनों का ही खून बहा दिया था. तब घटना के बाद मृतकों के परिजनों के चीत्कार से लोदीपुर दहल गया था. परिजनों का कहना था कि सूचना पर पुलिस एक्शन लेती और समय पर आती, तो यह घटना नहीं होती. ग्रामीण आज भी इस घटना को याद कर सिहर जा रहे हैं. बोलें कि उनके गांव में आजतक इतनी बड़ी घटना नहीं हुई थी.

हत्याकांड में 25 लोगों ने दी थी गवाही 

इस सामूहिक हत्याकांड में जितने लोगों को आजीवन कारावास की सजा हुई, उसमें 25 लोगों की ठोस गवाही काम आया और इन लोगों ने पूरी निडरता के साथ इस हत्याकांड में आरोपितों के खिलाफ गवाही दी थी. गवाही से पक्ष इतना मजबूत हो गया था कि इन आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा मिली.

यह एक जघन्य अपराध : जिला अभियोजन पदाधिकारी

जिला अभियोजन पदाधिकारी (पीपी) मो. कैसर इमाम ने बताया कि मामला 4 अगस्त 2021 की है. एक पक्ष के करीब 50 लोग हथियारों से लैस होकर विवादित जमीन को जोतने लगे जब इसकी जानकारी दूसरे पक्ष को लगी तो वे लोग समझाने के उद्देश्य से वहां गए की मामला अभी न्यायालय में लंबित है. फ़ैसला आने पर ही खेत की जुताई करें लेकिन वो लोग नही माने और वहां मौजूद चिंता देवी के आदेश पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाने लगे. जिससे नौ लोगों को गोली लग गयीं जिसमे पांच लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी और चार लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए. 17 लोगों को नामजद एवं 25 अज्ञात के विरुद्ध मामला दर्ज कराया गया था. यह एक जघन्य अपराध है. हमारी ओर से सभी अभियुक्तों के लिए फांसी की सजा की मांग की गयी थी. न्यायालय का आदेश सभी दोषियों को उम्रकैद का है. न्यायालय का आदेश सर्वोपरि है.

आज भी इस सदमे से उबर नहीं पा रहा है गांव 

जिस दिन गांव में यह सामूहिक हत्या हुई थी, उस समय से अबतक यह गांव इस सदमे से उबर नहीं पा रहा है. शायद आज इन आरोपितों की आजीवन कारावास की सजा के बाद यह गांव सदमे से उबर पाये. तीन साल बीत जाने के बाद भी पूरा गांव सहमा हुआ था और अबतक सदमे में जी रहे थे क्योंकि यह सामूहिक हत्या आपसी गोतिया में जमीन को लेकर हुई थी. जिस जमीन के लिए इतना खून-खराबा हुआ, वह आज भी बंजर पड़ी है. पीड़ित परिवार की सुरक्षा में तैनात होमगार्ड के जवान मूक गवाह हैं कि न्याय की प्रक्रिया के बावजूद शांति की बहाली अभी दूर है. दोषी करार दिए गए लोगों के घरों में ताले लटके हुए हैं जो इस त्रासदी के मूक गवाह दिख रहे हैं.

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बोले पीड़ित : फांसी की सजा होनी चाहिये थी

पीड़ित परिवार के रोहित कुमार समेत अन्य ने कहा कि जिस तरह की घटना हुई ,उसमें अपराधियों को फांसी की सजा होनी चाहिए थी. घटना से पांच घर बर्बाद हुआ है. चार औरते विधवा हुई. कई बच्चों के सर से पिता का साया उठ गया. न्यायालय के आदेश से हमलोगों के बीच खुशी है.जो लोग चले गए वो लौटकर तो नही आ सकते. लेकिन उनकी आत्मा को इस फैसले से जरूर शांति मिली है.

सजाफ्यता चिंता देवी के इशारे पर चलायी गयी थी गोली 

हत्याकांड की मुख्य सूत्रधार सजाफ्यता चिंता देवी रही है जिसके इशारे पर गांव में अंधाधुंध फायरिंग की गयी और इस दौरान पांच लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गयी जिसमें चार अन्य गंभीर रूप से जख्मी हुए थे.

सामूहिक हत्याकांड का फ्लैश बैक :

दिन 4 अगस्त 2021, समय : सुबह 10 बजे

सुबह 10 बजे : हथियारों के साथ ट्रैक्टर से खेत जोतने पहुंचा था एक पक्ष

सुबह 11 बजे : दूसरे पक्ष ने छबिलापुर थाना और राजगीर डीएसपी को दी थी सूचना

दोपहर 01 बजे : फिर से ट्रैक्टर लेकर खेत जोतने पहुंचा था

दोपहर 02 बजे : दूसरे पक्ष ने खेत जोतने का किया था विरोध

दोपहर 2.30 बजे : हथियारबंद अपराधियों ने की थी गोलीबारी

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