Private Investment: घरेलू निजी कंपनियां अगले दशक में 800 अरब डॉलर के व्यापक निवेश करने की योजना बना रही हैं. यह निवेश पिछले दशक के खर्च का लगभग तीन गुना है. केवल टाटा, अदाणी, रिलायंस और जेएसडब्ल्यू समूहों से लगभग 350 अरब डॉलर के निवेश का अनुमान है. ये अनुमान प्रतिष्ठित ग्लोबल क्रेडिट एजेंसी एस एंड पी ग्लोबल के क्रेडिट विश्लेषक नील गोपालकृष्णन की ताजा रिपोर्ट में जताये गये हैं. तकनीक और स्वच्छ ऊर्जा के विकास के साथ-साथ नयी कारोबारी संभावनाएं भी बढ़ी हैं. इसका एक उदाहरण प्रस्तावित निवेशों से भी मिलता है. रिपोर्ट में बताया गया है कि लगभग 40 प्रतिशत संभावित खर्च हरित हाइड्रोजन, स्वच्छ ऊर्जा, विमानन, सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहन और डेटा सेंटर जैसे नये व्यवसायों पर होगा. अनेक कंपनियां अपने स्थापित व्यवसायों को ही आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगी.
आकलन है कि अगर बीते दो साल के निवेश की दिशा बरकरार रही, तो अगले एक दशक में चार-पांच सौ अरब डॉलर का निवेश मौजूदा कारोबारों में होगा. उल्लेखनीय है कि पिछले दशक में अर्थव्यवस्था के विकास में सरकारी खर्च का बड़ा योगदान रहा है. इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में तो निजी क्षेत्रों के निवेश की तुलना में सरकार का निवेश बहुत ही अधिक रहा है. हालांकि आर्थिक विकास में सरकारी भागीदारी की उल्लेखनीय भूमिका आवश्यक है, पर अत्यधिक निवेश का दबाव राजकोषीय एवं वित्तीय घाटे पर भी पड़ता है. विकास और कल्याण कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए कर्ज भी लेना पड़ता है तथा राजस्व के साथ-साथ लाभांश का बड़ा हिस्सा भी निवेश में चला जाता है. विभिन्न कारणों, विशेष रूप से कोरोना महामारी, अंतरराष्ट्रीय एवं घरेलू बाजार में कमजोर मांग, भू-राजनीतिक परिदृश्य, आपूर्ति शृंखला में अवरोध आदि, से निजी क्षेत्र के पूंजीगत निवेश में अपेक्षित बढ़ोतरी नहीं हुई है.
कुछ साल पहले तो अनेक क्षेत्रों में निवेश कम रहा, जबकि कंपनियों के मुनाफे में भारी बढ़त हुई. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को कई बार अनुरोध करना पड़ा है कि अर्थव्यवस्था में वृद्धि का भरपूर लाभ उठा रहीं निजी कंपनियों को निवेश बढ़ाना चाहिए ताकि उत्पादन, रोजगार और मांग को गति मिल सके. बैंकों को भी कहा जाता रहा है कि वे कारोबारों के लिए पूंजी मुहैया कराने में किसी तरह की कोताही न बरतें. निवेश के परिदृश्य में अनेक सुधारों के कारण भी बेहतरी आयी है. बीते दो साल के रुझान इंगित कर रहे हैं कि निजी क्षेत्र पूंजी लगाने और कारोबार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित हुआ है. एस एंड पी ग्लोबल की रिपोर्ट यही इंगित करती है. बड़े निवेश की चुनौतियां भी हैं. सबसे अहम है परियोजनाओं को समय से पूरा करना.