मांझी. युवक से मारपीट कर अवैध रुपये के लेन-देन के मामले में पीड़ित युवक के आवेदन पर स्थानीय थाने में दो नामजद तथा अज्ञात के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी है. दर्ज प्राथमिकी में थाने में पदस्थापित एएसआइ पप्पू कुमार सिंह तथा प्रशिक्षु दारोगा ओमप्रकाश साह को नामजद अभियुक्त बनाया गया है. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद एएसआइ पप्पू कुमार सिंह को गिरफ्तार कर न्यायालय में भेज दिया गया, जबकि एक नामजद अभियुक्त फरार है. फरार नामजद अभियुक्त की गिरफ्तारी के पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है. प्राथमिकी कोपा थाना क्षेत्र के साधपुर गांव निवासी जनक यादव ने दर्ज करायी है. दर्ज प्राथमिकी में आरोप है कि जनक अपने दोस्त रोहित कुमार शर्मा के साथ निकले थे. इसी बीच नटवर बांध पर कुछ पुलिसकर्मी सिविल ड्रेस में खड़े थे. पुलिसकर्मी रोककर पूछताछ करने लगे. पूछताछ के क्रम में पुलिसकर्मी ने मारपीट कर पाॅकेट के पांच हजार रुपये निकाल लिये. वहां से थाना लेकर आये और 80 हजार रुपये की मांग करने लगे और बोले कि रुपया नहीं दोगे तो केस में फंसा कर जेल भेज देंगे. फिर जनक ने घर से व सतीश शर्मा की साइबर कैफे दुकान से फोन कर 27 हजार रुपये मंगवाये. उसके बाद नकद रुपया लेकर एएसआइ पप्पू सिंह को दे दिया. फिर दोबारा थाने पर बुलाये जाने पर घटना करनेवाले पुलिस पदाधिकारियों की पहचान की गयी.
एसपी ने दोनों पुलिस पदाधिकारियों को किया निलंबित
युवक के साथ मारपीट कर रुपये लेने के मामले में एसपी डॉ कुमार आशीष ने मांझी थाने के दोनों पुलिस पदाधिकारियों को निलंबित कर दिया है. रविवार को कोपा थाने के साधपुर ग्राम निवासी जनक यादव से मांझी थाने के प्रपुअनि ओमप्रकाश साह व सअनि पप्पू कुमार सिंह द्वारा नटवर सेमरिया बांध पर रोक कर मारपीट करने एवं पैसे मांगने की सूचना प्राप्त हुई थी. इस मामले में एसपी द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए घटना की जांच के लिए एकमा के एसडीपीओ को निर्देशित किया गया. एसडीपीओ द्वारा जांच में घटना को सत्य पाया गया. इसके बाद प्रपुअनि ओमप्रकाश साह व सअनि पप्पू कुमार सिंह के विरुद्ध मांझी थाने में प्राथमिकी दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार किया गया. 20 अक्तूबर को एसडीपीओ द्वारा समर्पित प्रतिवेदन के आलोक में कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही, मनमानी, अनुशासनहीनता, भ्रष्ट पुलिस पदाधिकारी के परिचायक होने के साथ-साथ पुलिस की छवि धूमिल करने के आरोप में ओमप्रकाश साह एवं पप्पू कुमार को तत्काल प्रभाव से सामान्य जीवन यापन भत्ता पर निलंबित किया गया है एवं उक्त आरोप के विरुद्ध सात दिनों के अंदर स्पष्टीकरण की मांग की गयी है.
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