Jharkhand News: बड़कागांव, संजय सागर- दीपावली पर्व नजदीक है. बाजार में दीयों की मांग बढ़ने लगी है. इसकी को देखते हुए देश के कई हिस्सों में कुम्हार रात दिन काम कर रहे हैं. झारखंड के बड़कागांव में भी यही हाल है. बड़कागांव प्रखंड और आसपास के क्षेत्रों में कुम्हारों की चाक की रफ्तार तेज हो गई है. कुम्हार रात दिन दीए और मिट्टी के अन्य सामान बनाने में व्यस्त हैं.
कुम्हारों को जगी है नई उम्मीद
दीपावली और छठ के मौके पर मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ जाती है. हालांकि बीते कुछ सालों से चीनी दीयों और रंगीन लाइट ने मिट्टी के दीपों की रौशनी कम कर दी थी, लेकिन इस बार चीन के उत्पादों के बहिष्कार के लिए उठ रहे स्वर को देखते हुए कुम्हारों की सोई आस फिर जगी है. दीपावली पर मिट्टी का दीया बनाने वाले कुम्हारों में इस बार नयी उम्मीद जगी है. इसके चलते उनके चाक ने रफ्तार पकड़ ली है.
दीया बनाने में जुटे कुम्हार
बड़कागांव कुम्हार मोहल्ला के चेतलाल प्रजापति, मूर्तिकार हीरालाल प्रजापति 1967 ई से ही मूर्ति, दीया, घड़ा, समेत अन्य मुट्टी के बर्तन बना रहे हैं. दीपावली पर्व को लेकर उन्होंने अब तक 10,000 से ज्यादा दीया बना चुके है. दीपावली तक इन्हें 35000 दीया बनाने का लक्ष्य है. अब तक इन्होंने 6,000 रुपये की पूंजी लगायी है.
वहीं परमेश्वर प्रजापति 15000 दीये, छोटू प्रजापति , रवि प्रजापति घड़ा ,चुका, कलश, ढकनी बना रहे है. गोवर्धन प्रजापति अबतक 12000 दीया बना चुके है. इस तरह से प्रखंड के बड़कागांव, तेलियातरी, भगवानबागी,महुगाईखुर्द, गोसाई बलिया समेत कई गांवों में अधिकांश कुम्हार दीया बनाने में जुटे हुए है. प्रति पीस दीया की कीमत एक रुपये है.
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