रामगढ़. मांझी परगना बैसी की बैठक बुलाकर जमीन विवाद के हल का दावा करने वाली तथा मांझी परगना सरकार (नॉन ज्यूडिशियल गवर्नमेंट) के नाम से समानांतर सरकार चलाने की कोशिश करने वाली तथाकथित दुमका दिसोम मांझी थान आर जाहेर थान संताल परगना नामक संस्था स्वयं विवादों में घिर गयी है. पिछले कुछ दिनों से रामगढ़ प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में इस संस्था की गतिविधियां अचानक बढ़ गयी है. अपने आप को नॉन ज्यूडिशियल गवर्नमेंट कहने वाली संस्था के प्रतिनिधि दो पक्षों के बीच जमीन विवाद का हल करने के लिए मांझी परगना की बैठक बुलाते हैं. बैठक में उपस्थित न होने वालों को मांझी परगना सरकार द्वारा गिरफ्तार करने की चेतावनी भी देते हैं. अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन का सहयोग लेने वाले पक्ष को प्रताड़ित करने के साथ-साथ उस पर भारी-भरकम आर्थिक जुर्माना भी लगाते हैं. जुर्माना अदा ना करने पर उसके घर में तालाबंदी कर दी जाती है तथा उस पक्ष को उनके घरों से निकाल दिया जाता है. पिछले कुछ दिनों में रामगढ़ प्रखंड के धोधमा, बाबू पाटोजोरिया तथा लावर्ती में इस संस्था के प्रतिनिधियों द्वारा मांझी परगना की बैठक बुलाकर यही प्रक्रिया दोहरायी गयी. लेकिन लावर्ती में पासा उल्टा पड़ गया. सोमवार को बुलायी गयी मांझी परगना बैसी की बैठक में स्थानीय ग्राम प्रधान, मांझी, गुडैत तथा संताल समाज के स्थानीय बुद्धिजीवी संस्था की मनमानी के खिलाफ खड़े हो गए. कथित मांझी परगना सरकार के मनमाने निर्णय के विरोध में स्थानीय ग्राम प्रधानों तथा समाज के बुद्धिजीवियों ने द्वितीय पक्ष की सनी टुडू के पति को दस्तावेजों के आधार पर घरजमाई स्वीकार करते हुए सनी टुडू को जमीन का वैध उत्तराधिकारी मानते हुए उसके पक्ष में निर्णय दिया था. साथ ही संस्था के तीन व्यक्तियों को पुलिस के हवाले करने के लिए स्थानीय ग्राम प्रधान को सौंप दिया था. ग्रामीणों के अनुसार सोमवार की रात में ही दो चारपहिया वाहनों से आए लोग तीनों व्यक्तियों को ग्राम प्रधान के घर से लेकर चले गए थे. साथ ही मंगलवार को लावर्ती में सभा बुलाकर इस बात का फैसला करने की बात कही थी. मंगलवार को 16 चारपहिया वाहनों से दर्जनों लोग लावर्ती पहुंचे तथा पंचायती प्रारंभ की. इतनी संख्या में बाहरी लोगों की उपस्थिति देखते हुए स्थानीय लोगों ने पुलिस को मामले की सूचना दी. दुमका दिसोम मांझी थान आर जाहेर थान संताल परगना से कथित तौर पर जुड़े लोग आज की बैठक में भी अपनी संस्था तथा उसके कार्यकलापों को विधिसम्मत बता रहे थे. स्थानीय बुद्धिजीवियों द्वारा बैठक में संस्था को फर्जी एवं उसकी कार्रवाइयों को अवैध बताने पर संस्था के लोगों की स्थानीय बुद्धिजीवियों के साथ कई बार तीखी बहस हुई. देर शाम तक चली बैठक में स्थानीय बुद्धिजीवी एवं ग्रामीण उक्त संस्था के प्रतिनिधियों द्वारा माफी मांगने की मांग पर अड़े हुए थे. अंततः उक्त संस्था के लोगों द्वारा क्षमा मांगने के बाद बैठक समाप्त हुई. बैठक के दौरान संस्था के प्रतिनिधियों ने मीडिया कर्मियों द्वारा तस्वीर खींचने एवं वीडियो बनाने पर रोक लगा दी थी. स्थानीय बुद्धिजीवियों द्वारा इस बात का विरोध किये जाने के बाद मीडियाकर्मियों को तस्वीर लेने दिया गया. दुमका दिसोम मांझी थाना आर जाहेर थान संताल परगना नामक संस्था के प्रतिनिधियों से जब उनका पक्ष जानने की कोशिश की गयी तो उन्होंने बताया कि वे अपना पक्ष बाद में भेजेंगे. उधर, स्थानीय पुलिस प्रशासन भी घटनाक्रम पर अपनी नजर बनाए हुए था. थाना प्रभारी शशिकांत साहू के नेतृत्व में पुलिस बल बैठक से कुछ दूरी पर तैनात था.
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