Bihar Land Survey: पटना. बिहार में जमीन के डिजिटल रिकॉर्ड की क्वालिटी बेहद खराब है. कई कॉपी पढ़ने लायक ही नहीं है तो कई के बीच के पन्ने गायब है. इस संबंध में विभाग को मिली शिकायतों के बाद अब राजस्व और भूमि सुधार विभाग ने इन सभी रिकॉर्ड की जांच करने का फैसला लिया है. बताया जाता है कि बिना जांच के ही प्राइवेट कंपनी को डिजिटाइजेशन का काम दे दिया गया था. इससे रैयतों को जमीन के कागजात ऑनलाइन तो मिल रहे हैं, लेकिन उसकी क्वालिटी इतनी खराब है कि वो किसी काम की नहीं है. विभाग के सचिव जय सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि वे खुद इन शिकायतों की जांच करके दस्तावेजों को सही क्वालिटी में पोर्टल पर अपलोड करें.
डिजिटल रिकॉर्ड की होगी जांच
विभागीय सूत्रों की मानें तो जमीन के कागजातों को डिजिटल करने का काम मेसर्स कैपिटल सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड, हरियाणा को दिया गया है. इस कंपनी को सभी अंचल और जिला अभिलेखागारों में रखे जमीन और राजस्व से जुड़े कागजातों को स्कैन और डिजिटाइज करना था. लेकिन, कंपनी के काम की क्वालिटी सही नहीं है और इसकी किसी स्तर पर सही से जांच नहीं हुई. इस वजह से रैयतों को ऑनलाइन जमीन के कागजात नहीं मिल पा रहे हैं. इससे रैयतों में नाराजगी है और विभाग के सामने शिकायतों की लंबी कतार लग गयी है.
रजिस्टर टू की स्कैनिंग में न हो देर
विभागीय सचिव जय सिंह ने जिलाधिकारियों के नाम लिखे अपने पत्र में साफ तौर पर कहा कि जमीन के रिकॉर्ड की प्रति उपलब्ध नहीं होने के कारण रैयतों में असंतोष पनप रहा है. इससे राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग भी चिंतित है. जय सिंह ने सभी जिलाधिकारियों से कहा है कि अपर समाहर्ता और भूमि सुधार उप समाहर्ता को जांच की जिम्मेदारी सौंपी जाए. इसके साथ ही, जय सिंह ने पत्र में जिलाधिकारियों को जमाबंदी पंजी (रजिस्टर टू) की स्कैनिंग जल्द से जल्द कराने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने उन सभी अंचलों की सूची भी भेजी है जहां अब तक रजिस्टर टू की स्कैनिंग नहीं हुई है. इसकी निगरानी की जिम्मेदारी अंचलाधिकारियों को सौंपी गई है.
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बिहार में 30 करोड़ के करीब जमीन दस्तावेज
बिहार में अभी 36 तरह के राजस्व दस्तावेजों को डिजिटाइज और स्कैन किया जा रहा है. इनमें खतियान और रजिस्टर टू भी शामिल हैं. इन दस्तावेजों को लोग भू-अभिलेख पोर्टल पर मुफ्त में देख सकते हैं और थोड़े से शुल्क पर डाउनलोड भी कर सकते हैं. विभागीय सूत्रों की मानें तो बिहार में 30 करोड़ राजस्व दस्तावेज हैं, जिनमें से 12 करोड़ के करीब दस्तावेजों को डिजिटाइज और स्कैन किया जा चुका है. हालांकि, जमीन के रैयतों में बदलाव की वजह से दिक्कतें आ रही हैं. पुराने रिकॉर्ड में कई जमीनें खेती के लिए दर्ज हैं, लेकिन अब उनका रजिस्ट्रेशन मकान, फैक्ट्री या दुकान की कैटेगरी में हो गया है.