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300 साल पहले दुल्हन के खोयंछा में विष्णुपुर आयी थी मां काली

अमौर प्रखंड स्थित विष्णुपुर गांव में

पीके करन, अमौर. अमौर प्रखंड स्थित विष्णुपुर गांव में तीन सौ साल पुराना एक विशाल बरगद का पेड़ मां काली की आस्था का प्रतीक बना हुआ है. इस बरगद पेड़ के संबंध में गांव बड़े बुजुर्गों ने बताया कि आज से करीब तीन सौ साल पूर्व एक नवविवाहित दुल्हन रानीगंज हांसा अररिया से दुरागमन होकर विष्णुपुर गांव में आयी थी . मैथिल संस्कृति के अनुसार दुल्हन अपने आंचल में खोयंछा लेकर आयी थी जिसे गोंसाई घर में खोल कर रखना था . किन्तु लाख प्रयासों के बावजूद गोंसाई घर में खोयंछा नहीं खुल पाया, जिससे परिवार के लोग किसी दैविक प्रकोप की आशंकाओं से भयभीत होने लगे. दूसरे दिन उक्त नवविवाहित दुल्हन ने बताया कि उसे रात में मां काली का स्वप्न आया है. स्वप्न में मां काली ने कहा है कि वह पहुंसरा ड्योड़ी की भगवती है और उसके खोइंछा में एक छोटा सा बरगद पेड़ के रूप में यहां पर आयी है . खोइंछा पवित्र स्थान पर खोलकर विधि विधान के साथ मुझे स्थापित करो सभी का कल्याण होगा. यह स्वप्न की बात पूरे गांव में फैल गई और गांव समाज के लोगों ने दुल्हन के खोइंछा में आये उक्त बरगद पेड़ को मां काली का प्रतीक मान कर स्थापित करने निर्णय लिया .पूजा अनुष्ठान के दौरान दुल्हन का खोयंछा स्वत: खुल गया और खोइछा में अन्य सामग्रियों के साथ एक छोटा सा बरगद का पेड़ भी निकला.इसे मां काली का प्रतीक मान कर स्थापित कर दिया गया .यह बरगद का पेड़ आज भी यहां विशाल पेड़ के रूप में विद्यमान हैं जहां हर दिन श्रद्धालुओं द्वारा मां काली की पूजा अर्चना की जाती है . पूर्व में इस बरगद पेड़ के समीप घास फूस का एक छोटा सा काली मंदिर का निर्माण किया गया था जहां हर वर्ष कार्तिक मास में मिट्टी की प्रतिमा स्थापित कर भव्य मां काली पूजा समारोह का आयोजन किया जाता रहा है. बाद में इस मंदिर का विस्तार कर टीन छत का मंदिर बनाया गया और वर्तमान में इस मंदिर का सौंदर्यीकरण कर तथा टायल्स लगाकर भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है जो पूरे क्षेत्र के लिए आस्था का केन्द्र बना हुआ है. फोटो. 23 पूर्णिया 25, 26-अमौर के विष्णुपूर गांव में मां काली की आस्था का प्रतीक तीन सौ साल पुराना बरगद का पेड़ व मंदिर.

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