Indian Navy : भारतीय नौसेना ने अपने चौथे परमाणु-चालित बैलेस्टिक मिसाइल पनडुब्बी का परीक्षण इस महीने की 16 तारीख को किया है. इसे विशाखापट्टनम के पोत निर्माण केंद्र में बनाया गया है. पहली ऐसी पनडुब्बी लीज पर ली गयी थी, जिसे आइएनएस चक्र का नाम दिया गया था. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा इस वर्ष 29 अगस्त को दूसरी परमाणु-चालित बैलेस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आइएनएस अरिघात को नौसेना में शामिल किया गया था.
इस शृंखला की तीसरी पनडुब्बी आइएनएस अरिधमान को अगले साल सेवा में लगाया जायेगा. चौथी पनडुब्बी का अभी औपचारिक नामकरण नहीं किया गया है. इनके अलावा आइएनएस अरिहंत भी सेवा में है. उल्लेखनीय है कि इसी माह की नौ तारीख को सुरक्षा से संबद्ध कैबिनेट कमिटी ने दो और परमाणु-चालित पनडुब्बियों के निर्माण को हरी झंडी दी है. इन उन्नत पनडुब्बियों से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में किसी भी आक्रामक चुनौती का मुकाबला करने की क्षमता तो बढ़ेगी ही, साथ ही किसी प्रकार के बड़े थल या वायु हमले की स्थिति में जवाबी कार्रवाई करना भी आसान हो जायेगा.
हालांकि युद्धपोतों के मामले में भारत की क्षमता बहुत अधिक है, पर लड़ाकू विमान ढो सकने वाले युद्धपोत चीनी मिसाइलों द्वारा निशाना बनाये जा सकते हैं. ऐसे में उन्नत पनडुब्बियों की आवश्यकता बढ़ गयी है. उल्लेखनीय है कि हाल के वर्षों में हिंद महासागर में चीनी नौसेना की गतिविधियों में तेजी आयी है. इस क्षेत्र में पाकिस्तान की उपस्थिति को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है. रक्षा खरीद के मामले में आयात पर भारत की निर्भरता घटाने के प्रयास में मोदी सरकार ने देश के भीतर उत्पादन बढ़ाने पर खूब जोर दिया है. कई वस्तुओं की अन्य देशों से खरीद पर रोक भी लगायी गयी है. इससे रक्षा क्षेत्र का विस्तार भी हो रहा है और अनेक उत्पादों का निर्यात भी किया जा रहा है.
चौथी परमाणु पनडुब्बी में लगे लगभग 75 प्रतिशत कल-पुर्जे देश में ही निर्मित हैं. यह भारत की बढ़ती पोत एवं पनडुब्बी निर्माण क्षमता को भी इंगित करता है. नयी पनडुब्बी से 3,500 किलोमीटर दूर मार करने की क्षमता वाली परमाणु मिसाइलों को प्रक्षेपित किया जा सकता है. भारत में निर्मित हो रहीं इस श्रेणी की अन्य पनडुब्बियां पांच हजार किलोमीटर दूरी तक निशाना बनाने वाली मिसाइलों को दाग सकेंगी. कुछ साल बाद रूसी पनडुब्बी को भी लीज पर लेने की योजना है. हालांकि भारत कूटनीतिक संवाद के माध्यम से पड़ोसी देशों के साथ विवादों को सुलझाने के लिए प्रयासरत रहा है और हाल में इस संबंध में सकारात्मक प्रगति भी हुई है, पर इसके साथ-साथ हमें अपनी रक्षा क्षमता को भी उत्तरोत्तर ताकतवर बनाना है.