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खरीदारी में बरतें सावधानी, मिलावटी सामान के हो सकते हैं शिकार

बाजार के लिए दीपावली व छठ पूजा बेहद महत्वपूर्ण त्योहार हैं. माना जाता है कि कुल सालाना कारोबार का 30 से 40 प्रतिशत कारोबार दुर्गापूजा से छठ के बीच होता है

चक्की.

बाजार के लिए दीपावली व छठ पूजा बेहद महत्वपूर्ण त्योहार हैं. माना जाता है कि कुल सालाना कारोबार का 30 से 40 प्रतिशत कारोबार दुर्गापूजा से छठ के बीच होता है. दीपावली पर माता लक्ष्मी एवं भगवान गणेश व कुबेर देवता की पूजा कि जाती हैं. उस दिन सोना- चांदी के आभूषण खरीदना शुभ माना गया हैं. आभूषणों के साथ ही मिठाइयों और पटाखों का कारोबार भी बड़े पैमाने पर होता है. दीपावली की आहट पर बाजार में सरगर्मी बढ़ गई है. खरीदारी में तेजी देखने को मिल रही है. हालांकि सावधान रहने की भी जरूरत है. बाजार में बिना हॉलमार्क वाले आभूषण तो हैं ही, नकली खोया व मिलावटी मिठाइयों की भी कमी नहीं है. उधर बिना लाइसेंस पटाखों की दुकानें भी सजने लगी हैं.

बिना हॉलमार्क बिक रहे आभूषण :

दीपावली नजदीक आते ही लोग आभूषणों की खरीदारी करने में जुट गए हैं. ऐसे में प्रखंड की हर पंचायत में सोने चांदी की दुकानें गुलजार हैं. हालांकि अधिकांश जगहों पर बिना हॉलमार्क वाले आभूषणों की बिक्री की जा रही है. माना जाता है कि दीपावली से पहले धनतेरस के दिन सोना एवं चांदी खरीदना शुभ होता है. ऐसे में लोग आभूषण के साथ-साथ चांदी की लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां भी खरीद रहे हैं. आभूषण व्यवसायी संतोष वर्मा ने बताया कि हफ्ते दिन पहले व्यवसाय पूरी तरह से ठप था, लेकिन इस हफ्ते से व्यवसाय पटरी पर आ गया है. उन्होंने बताया कि फेस्टिवल सीजन दिवाली एवं छठ के नजदीक आने से व्यवसाय में तेजी है. ग्राहक आभूषण के साथ-साथ लक्ष्मी व गणेश के छपे चित्र वाले सिक्के ज्यादा पसंद कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि बहुत सारे ग्राहक धनतेरस एवं दिवाली के दिन भी सिक्के खरीदते हैं. विक्रेताओं का कहना है कि अधिकांश जगहों पर बिना हॉलमार्क वाले आभूषणों की बिक्री हो रही है.

फेस्टिवल सीजन में मिलावटी मिठाइयों की भी कमी नहीं :

दीपावली एवं छठ पर मिठाई का कारोबार भी तेज रहता है. रिश्तेदारों और पड़ोसियों को दीपावली की शुभकामनाओं के साथ मिठाइयां व उपहार देना भी इस पर्व पर परंपरा के अनुसार कायम है. दिपावली नजदीक आते ही मिठाई सहित घरेलू खाद्य पदार्थों की मांग काफी बढ़ जाती है. त्योहारों पर आमतौर पर मिठाई नहीं खाने वाले लोग भी खरीदारी करते हैं. मिठाई की मांग की तुलना में आपूर्ति कम होने का नाजायज फायदा दुकानदार उठाते हैं. इस समय प्रखंड के जवहीं, भरियार, अरक, चक्की, डुमरी, कृष्णाब्रह्म सहित ग्रामीण क्षेत्रों में मिलावटी मिठाई का धंधा खूब फल फूल रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि प्रशासन की तरफ से इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. सूत्रों के अनुसार नकली खोया, छेना से बनी खूबसूरत मिठाइयां को दिवाली एवं छठ के त्यौहार में धड़ल्ले से बिक्री की जाती है. छापेमारी व जांच नहीं होने की वजह से मिठाई दुकानदार के हौसले बुलंद हैं. नकली मिठाइयों से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. त्योहारों में अधिकतर दुकानदार सिंथेटिक मिठाई बनाकर बेच रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे बड़े दुकानों पर सिंथेटिक खोया, छेना, पनीर का इस्तेमाल बिना रोक टोक के चल रहा हैं. एक विक्रेता के अनुसार सिंथेटिक खोया की मांग में 60 प्रतिशत तक तेजी आयी है. सस्ता गैर ब्रांडेड रिफाइंड की मांग भी बढ़ी है. इसी तरह से बेसन की जगह बोकला का इस्तेमाल हो रहा है.

बिना लाइसेंस चल रही पटाखे की दुकानें :

दीपावली नजदीक है. ग्रामीण क्षेत्रों में पटाखे की दुकानें सज गयी हैं. आतिशबाजी भी लोग कर रहे हैं. गांव में जगह-जगह पटाखे की दुकानें सज गयी है. अधिकतर दुकान घनी आबादी में सजाई गई हैं जो सुरक्षा की दृष्टि से काफी संवेदनशील हैं. स्थिति यह है कि थोड़ा सी भी लापरवाही की वजह से कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है. इन दुकानदारों के पास पटाखा बेचने का किसी भी तरह का लाइसेंस भी नहीं है. इतना ही नहीं किसी दुकानदार के पास सेफ्टी कीट भी नहीं है. प्रखंड के विभिन्न गांवों में पटाखा की दुकानें लग गयी है. भीड़-भाड़वाले इलाकों में भी धड़ले से कारोबार चल रहा हैं. इस पर प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाने से कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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