Pakur Vidhan Sabha, रमेश भगत : पाकुड़ विधानसभा का चुनाव भी हमेशा दिलचस्प रहा है. शुरू से ही इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है. पाकुड़ विधानसभा चुनाव 1952 कांग्रेस के टिकट पर पहली विधायक पाकुड़ रियासत की रानी ज्योतिर्मयी चुनी गयी थीं. वर्ष 1957 के चुनाव में भी उन्होंने कांग्रेस पार्टी से दुबारा जीत हासिल की. आखिरी बार 2019 में यहां पूर्व मंत्री आलमगीर आलम ने जीत दर्ज कर कांग्रेस का परचम लहराया था.
रियासत की रानी करती थीं बैलगाड़ी से प्रचार
रानी ज्योतिर्मयी बैलगाड़ी से चुनाव प्रचार करती थीं. वे समर्थकों के साथ बैलगाड़ी से गांव-गांव जाती थी. उनकी बैलगाड़ी को बंगाली परंपरा के हिसाब से सजाया जाता था. गाड़ी इस तरह तैयार की जाती थी कि रानी को धूप नहीं लगे. राजपरिवार चलाने वाली रानी के लिए लोगों के घर-घर तक जाना आसान काम नहीं था लेकिन उन्होंने अपने व्यवहार से इसे आसान बना लिया. लोग उनके स्वागत के लिए खड़े रहते थे. रानी ना सिर्फ लोगों से मुलाकात करती थी. बल्कि उनके घरों में बैठक कर महिलाओं को भी वोट देने के लिए प्रेरित करती थीं. रानी ज्योतिर्मयी लगातार दो बार जीतने के बाद भी चुनाव लड़ी लेकिन जीत हासिल नहीं कर पायी. कांग्रेस को पहली बार झारखंड पार्टी ने चुनौती दी. झारखंड पार्टी के नेता प्रसूनन्द चंद्र पांडे विधायक बने. 1967 के चुनाव में भारतीय जनसंघ के बीएन झा ने चुनौती दी और विधायक बने.
पहले अल्पसंख्यक विधायक बने सैयद मो जफर अली
मुस्लिम मतदाताओं की अधिकता वाले इलाके में कांग्रेस ने पहली बार साल 1972 में मुस्लिम उम्मीदवार सैयद मो जफर अली को चुनावी मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की. उसके बाद वे लगातार दो बार चुनाव जीते. 1980 के चुनाव में सीपीएम के प्रत्याशी रहे अब्दुल हाकीम ने उन्हें चुनौती दी और जीते. 1985 में कांग्रेस ने प्रत्याशी बदला और हाजी मुहम्मद ऐनुल हक को मैदान में उतारा. हाजी मुहम्मद ऐनुल हक ने कांग्रेस को निराश नहीं किया और जीत हासिल की.
1990 व 1995 में भाजपा पाकुड़ सीट से जीती
90 के दशक में देशभर में भाजपा के उभार का असर पाकुड़ में दिखा और भाजपा प्रत्याशी बेनी प्रसाद गुप्ता 1990 और 1995 में कांग्रेस को पटखनी देते हुए जीत हासिल की. 2000 में कांग्रेस प्रत्याशी आलमगीर आलम ने भाजपा प्रत्याशी बेनी प्रसाद गुप्ता को पीछे छोड़ चुनाव जीते. उन्होंने दुसरी बार भी जीत हासिल की. लेकिन साल 2009 के त्रिकोणीय मुकाबले में झामुमो प्रत्याशी अकील अख्तर से पटखनी खा गये. उसके बाद उन्होंने दोबारा पीछे मुड़कर नहीं देखा और 2014 और 2019 के चुनाव में रिकोर्ड वोट से जीत हासिल की. फिलहाल आलमगीर आलम भ्रष्टाचार के आरोप में ईडी की गिरफ्त में है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि पाकुड़ विधानसभा के मतदाता क्या रंग दिखाते हैं.
पाकुड़ विधानसभा से जीतने वाले विधायक
वर्ष | विधायक | पार्टी |
1952 | रानी ज्योतिर्मयी | कांग्रेस |
1957 | रानी ज्योतिर्मयी | कांग्रेस |
1962 | प्रसूनंदू चंद्र पांडेय | झारखंड पार्टी |
1967 | बी एन झा | भारतीय जनसंघ |
1969 | सैयद मो जफर अली | कांग्रेस |
1972 | सैयद मो जफर अली | कांग्रेस |
1977 | हाजी मुहम्मद ऐनुल हक | कांग्रेस |
1980 | अब्दुल हाकीम | सीपीएम |
1985 | हाजी मुहम्मद ऐनुल हक | कांग्रेस |
1990 | बेनी प्रसाद गुप्ता | भाजपा |
1995 | बेनी प्रसाद गुप्ता | भाजपा |
2000 | आलमगीर आलम | कांग्रेस |
2005 | आलमगीर आलम | कांग्रेस |
2009 | अकील अख्तर | झामुमो |
2014 | आलमगीर आलम | कांग्रेस |
2019 | आलमगीर आलम | कांग्रेस |
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