20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Bihar Tourism: यहां मानसून के बाद फिर से लौटेगी रौनक, पर्यटकों के स्वागत के लिए मिली हरी झंडी

Bihar Tourism: बिहार का मिनी कश्मीर के नाम से प्रख्यात इकलौता वीटीआर में मानसून सीजन के कारण पर्यटकों के आने पर रोक लगा दी गयी थी. जिस कारण पर्यटन नगरी में सन्नाटा का आलम था. वन विभाग की ओर से 21 अक्टूबर 2024 से वन विभाग पर्यटन सीजन का पुन: शुरुआत की गयी है.

Bihar Tourism: बिहार का मिनी कश्मीर के नाम से प्रख्यात इकलौता वीटीआर(VTR) में मानसून सीजन के कारण पर्यटकों के आने पर रोक लगा दी गयी थी. जिस कारण पर्यटन नगरी में सन्नाटा का आलम था. वन विभाग की ओर से 21 अक्टूबर 2024 से वन विभाग पर्यटन सीजन का पुन: शुरुआत की गयी है. जिससे पर्यटक वाल्मीकिनगर की सुंदर वादियों में फिर भागम भाग की जिंदगी में सुकून भरे पल बिता पाएंगे. वन प्रमंडल पदाधिकारी पियुष वर्णवाल ने हरी झंडी दिखाकर पर्यटक सीजन की शुरुआत की. इस मौके पर

प्रशिक्षु DFO, वन क्षेत्र पदाधिकारी मौजूद रहे.

ज्ञात हो कि भारत नेपाल सीमा पर अवस्थित महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली वाल्मीकिनगर जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए विख्यात है. वाल्मीकिनगर से सटे कल-कल कर बहती नारायणी गंडकी की धारा से सटे पड़ोसी देश नेपाल में सर उठाकर खड़े ऊंचे पहाड़ और चारों तरफ से वन और वृक्षों से घिरे वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में निवास करने वाले शाकाहारी, मांसाहारी जीव जंतुओं के साथ विभिन्न प्रकार के पशु पक्षियों के अलावा वन क्षेत्र में प्राचीन काल से स्थापित आस्था के मुख्य केंद्र मंदिरों के अलावा वन विभाग द्वारा निर्मित सैलानियों के लिए बंबू हट, ट्री हट, कैनोपी वाक, गंडक नदी में राफ्टिंग, जंगल सफारी पूरी तरह सज धज कर पर्यटकों के स्वागत को तैयार है.

वाल्मीकिनगर महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली के रूप में जानी जाती

बताते चलें कि वाल्मीकिनगर महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली के रूप में जानी जाती है. यह चारों तरफ से वनों, पहाड़ों और नदियों से घिरी हुई है और यह वाल्मीकि व्याघ्र आरक्ष के रूप में आज पूरी तरह विख्यात है. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व वन क्षेत्र लगभग 900 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. जिसमें विभिन्न प्रकार के जीव जंतु के साथ विभिन्न प्रकार के पक्षियों की भरमार है. वहीं भारत-नेपाल दो देशों को जोड़ने वाली गंडक बराज में कुल 36 फाटकों में 18वां फाटक पार करते ही यह अहसास सुखद लगता है की हम प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण नेपाल की पवित्र पावन धरती पर अपने कदमों को रख चुके हैं.

ये भी पढ़े: मुजफ्फरपुर में डेंगू का बढ़ता कहर, एक दिन में 7 नए मरीज, स्वास्थ्य विभाग सतर्क

वही वन क्षेत्र में प्राचीन काल से स्थापित मंदिर अपने दर्शन के लिए पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं. गंडक बराज से सटे ऊंचे पहाड़ के साथ नारायणी नदी की कल-कल धारा के बीच नारायणी के पावन जल में सूर्योदय तथा सूर्यास्त का प्रतिबिंब बेहद अद्भुत नजारा प्रस्तुत करता है जो हृदय को छू जाता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें