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सात लोगों जेल भेजने से नाराज वकीलों ने अनुमंडल कोर्ट का किया वहिष्कार

सासाराम न्यूज : अधिवक्ताओं ने लगाया आरोप

सासाराम न्यूज : अधिवक्ताओं ने लगाया आरोप

बिक्रमगंज.

बिक्रमगंज अनुमंडलीय कोर्ट की ओर से हाल ही में लिये गये निर्णय के तहत सात लोगों को विभिन्न मामलों में जेल भेजने के बाद स्थानीय बार एसोसिएशन ने कोर्ट का बहिष्कार कर दिया है. अधिवक्ताओं का आरोप है कि शांति भंग के मामलों में दोषियों को जेल भेजने की कार्रवाई में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. इस फैसले के विरोध में बार एसोसिएशन ने अनुमंडल न्यायालय के कार्यों से खुद को अलग कर लिया है. बार एसोसिएशन के महासचिव रवि रंजन कुमार ने फैसले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि बिना उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाये इन लोगों को जेल भेजा गया है, जो न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है. उनका कहना है कि इस निर्णय के चलते स्थानीय वकीलों के बीच प्रशासनिक कार्यप्रणाली के प्रति असंतोष बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि वकील समुदाय ने न्यायिक प्रक्रिया में अपने अधिकारों की अनदेखी किये जाने के विरोध में एसडीएम के न्यायालय का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. अधिवक्ता उमेश प्रसाद मिश्रा, नागेंद्र सिंह और संजीत कुमार राय ने कहा कि वे न्याय और कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करते हैं, लेकिन न्यायालय के इस फैसले में आम लोगों के साथ वकील समुदाय के अधिकारों की भी अनदेखी हुई है. इस संबंध में बार एसोसिएशन ने संबंधित अधिकारियों और जिला न्यायाधीश को मामले की जानकारी देकर न्याय की गुहार लगायी है.

सात लोगों को जेल भेजने का मामला

अनुमंडलाधिकारी सह अनुमंडल दंडाधिकारी अनिल बसाक ने इसी सप्ताह तीन पंचायतों से सात लोगों को जेल भेजा है. 20 अक्तूबर को मोहनी पंचायत के महाराज गंज से सिकंदर सिंह, वीरेंद्र सिंह, सत्येंद्र सिंह और सियाराम सिंह को जेल भेजा गया. इसके बाद 22 अक्तूबर को जोन्हीं पंचायत के गोटपा गांव के बाबूधन राम और संतोष राम को जेल भेजा गया. 23 अक्तूबर को घुसियां कलां पंचायत के पूर्व मुखिया प्रतिनिधि उमेश कुशवाहा को जेल भेजा गया.

सुसंगत धाराओं के तहत की गयी कार्रवाई : एसडीओ

अनुमंडलाधिकारी अनिल बसाक ने कहा कि हमने जो भी किया है, वह कानून की सुसंगत धाराओं के तहत किया है और मैं अपने दायित्व का निष्ठापूर्वक अक्षरशः पालन कर रहा हूं. उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया और जो भी निर्णय लिया गया, वह कानून के अनुसार ही है.

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