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होम स्टे को लेकर मिल रहीं शिकायतें पर्यटन विभाग करेगा इसका सर्वेक्षण

इसलिए राज्य सरकार अब होम स्टे की वर्तमान स्थिति की जांच के लिए सर्वेक्षण कराने जा रही है.

अवैध रूप से लीज देने व सरकारी वित्तीय मदद का उपयोग अन्य क्षेत्रों में करने का आरोप

कोलकाता. राज्य के पर्यटन विभाग के पोर्टल पर हजारों होम स्टे पंजीकृत हैं. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों से होम स्टे को लेकर कई तरह की शिकायतें आ रही हैं. ऐसे में अवैध रूप से होम स्टे लीज देने के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा दी गयी वित्तीय सहायता का उपयोग अन्य क्षेत्रों में करने का आरोप सामने आये हैं. साथ ही होम स्टे को लेकर प्रचार-प्रसार की कमी या ढांचागत समस्याओं की भी शिकायतें सामने आ रही हैं. इसलिए राज्य सरकार अब होम स्टे की वर्तमान स्थिति की जांच के लिए सर्वेक्षण कराने जा रही है. बताया गया है कि राज्य के गृह व पर्यटन सचिव ने विभागीय अधिकारियों को सर्वे करने आदेश दिया है. निर्देश के मुताबिक, पूजा के बाद होम स्टे पर सर्वे शुरू हो जाना चाहिए.

होम स्टे के लिए मालिकों को एक लाख रुपये की मदद करती है सरकार : राज्य सरकार ने 2017 में ””पश्चिम बंगाल होम-स्टे पॉलिसी”” बनायी थी. बाद में 2019 और 2022 में कानून में कुछ परिवर्तन और संशोधन किये गये. कोरोना के दौरान पर्यटन व्यवसाय को भारी नुकसान हुआ. तब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने होम स्टे के निर्माण को प्रोत्साहित करने का आदेश दिया था. होम स्टे बनाने को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार मालिकों को एक लाख रुपये की वित्तीय सहायता देती है. नियमों के मुताबिक, इस पैसे का इस्तेमाल होम स्टे के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए किया जाना है. लेकिन, कई लोग उस पैसे का इस्तेमाल अन्य उद्देश्यों के लिए कर रहे हैं. कई मामलों में, मालिक होम स्टे को पट्टे पर दे रहे हैं, या होम स्टे को बढ़ाकर होटल व्यवसाय कर रहे हैं.

इतना ही नहीं, कई लोग बुकिंग के दौरान होम स्टे के बारे में गलत जानकारी भी दे रहे हैं, जिसे लेकर पर्यटकों में नाराजगी है.

होम स्टे के लिए राज्य सरकार ने बनाये हैं कई नियम

राज्य सरकार ने होम स्टे के लिए कई नियम बनाये हैं. जैसे कि प्रत्येक होम स्टे में मालिक समेत कम से कम चार स्टाफ होने चाहिए. इनमें से कम से कम एक स्टाफ सदस्य को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. लेकिन आरोप है कि कई लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, इसलिए सरकार ने सर्वे की पहल की है.

पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक जिलाधिकारी के पास होम स्टे की सूची होनी चाहिए और उसके अनुसार इसका सर्वे किया जायेगा. रिपोर्ट देखने के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी. गौरतलब है कि 12 सितंबर तक राज्य के 23 जिलों में 2,373 पंजीकृत होम-स्टे हैं. इनमें से सिर्फ कलिम्पोंग में 1,070 होम स्टे बने हुए हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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