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मात्र दो सेमेस्टर में ही स्नातक के 5,345 विद्यार्थी हो गये ड्रॉप आउट

मुंगेर विश्वविद्यालय अपने शैक्षणिक मामलों से पूरी तरह भटक चुका है. इस कारण एमयू के कई सत्रों में लगातार ड्रॉप आउट विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती जा रही है.

एमयू के सीटों की समीक्षा के प्रति लापरवाही बढ़ा रहे ड्रॉप आउट के मामले, प्रतिनिधि, मुंगेर. मुंगेर विश्वविद्यालय अपने शैक्षणिक मामलों से पूरी तरह भटक चुका है. इस कारण एमयू के कई सत्रों में लगातार ड्रॉप आउट विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसे केवल इसी आंकड़े से समझा जा सकता है कि पहली बार सीबीसीएस के तहत आरंभ चार वर्षीय स्नातक कोर्स के सत्र 2023-27 के दो सेमेस्टर में ही एमयू के कुल 5,345 विद्यार्थी ड्रॉप आउट हो गये हैं. राजभवन द्वारा साल 2023 से ही स्नातक के सत्रों को अब तीन साल की जगह चार साल का कर दिया गया है. इसे लेकर एमयू द्वारा पिछले साल अपने 33 अंगीभूत व संबद्ध कॉलेजों में सीबीसीएस के तहत सत्र 2023-27 स्नातक सेमेस्टर-1 में नामांकन लिया गया. इसमें कुल 36,345 विद्यार्थियों ने नामांकन लिया. जिसमें कला संकाय में 32,013, विज्ञान संकाय में 3,933 तथा वाणिज्य संकाय में 399 विद्यार्थियों ने नामांकन लिया. वहीं सेमेस्टर-2 तक उक्त सत्र में विद्यार्थियों की संख्या 30,808 हो गयी. इसमें कला संकाय में 27,308, विज्ञान संकाय में 3,174 तथा वाणिज्य संकाय में 326 विद्यार्थी हैं. जबकि मात्र एक सेमेस्टर के बाद ही 5,537 विद्यार्थी ड्रॉप आउट हो गये. इसमें मात्र दो सेमेस्टर में ही जहां कला संकाय में 4,710 विद्यार्थी ड्रॉप आउट हो गये हैं. वहीं विज्ञान संकाय में 759 तथा वाणिज्य संकाय में 73 विद्यार्थी ड्रॉप आउट हो गये हैं. जबकि जल्द ही सेमेस्टर-2 का रिजल्ट जारी होना है. ऐसे में विश्वविद्यालय द्वारा उक्त सत्र के लिये सेमेस्टर-3 में नामांकन लिया जायेगा. इसमें भी विद्यार्थियों के ड्रॉप आउट होने की संभावना बढ़ गयी है.

सीटों के समीक्षा को लेकर उदासीनता बढ़ा रही परेशानी

एमयू प्रशासन अपने कॉलेजों में विषयों के सीटों को लेकर पूरी तरह लापरवाह बना है. जबकि कॉलेजों की बदहाल हालत के कारण भी विद्यार्थियों के ड्रॉप आउट के मामले बढ़ते जा रहे हैं. बता दें कि एमयू के 33 अंगीभूत व संबद्ध कॉलेजों में स्नातक के लगभग 85 हजार सीटें हैं. जिसमें रूरल इकोनॉमिक्स जैसे कई ऐसे विषय हैं, जिसमें एक भी विद्यार्थी नहीं हैं. हद तो यह है कि कई विषयों में जहां विद्यार्थी की संख्या मात्र 5 से 10 हैं. वहां शिक्षकों की संख्या पर्याप्त है. जबकि कई विषयों में शिक्षक नहीं है, लेकिन उसमें विद्यार्थियों की संख्या 100 से अधिक हैं. हद तो यह है कि विश्वविद्यालय में भूगोल विषय में तो मात्र एक शिक्षक हैं. जिनके भरोसे ही स्नातक से लेकर पीजी और पीएचडी के विद्यार्थियों का भविष्य है.

कहते हैं नोडल अधिकारी

एमयू के नोडल अधिकारी डॉ सूरज कोनार ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा नामांकन के समय सीटों की समीक्षा की जाती है, हालांकि इसके लिये बने सक्षम प्राधिकारियों की बैठक में इसे लेकर अबतक कोई समीक्षा नहीं की गयी है. जबकि विद्यार्थियों के ड्रॉप आउट के मामलों को कम करने का प्रयास किया जा रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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