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बांग्लादेश भवन संग्रहालय नहीं खुलने से सैलानी मायूस

इस बाबत शांतिनिकेतन में अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय बांग्लादेश भवन के संबंध में विश्वविद्यालय अधिकारियों की अनिश्चितता बढ़ती जा रही है.

बोलपुर. जिले के विश्वभारती शांतिनिकेतन में मौजूद बांग्लादेश भवन के संग्रहालय को पर्यटकों के लिए नहीं खोला गया है. इस संबंध में बांग्लादेश की नयी सरकार से अब तक कोई निर्देश नहीं आया है. इससे विश्वभारती प्रबंधन पसोपेश में है. इससे शांतिनिकेतन आनेवाले पर्यटकों में संग्रहालय नहीं देख पाने को लेकर निराशा है. इस बाबत शांतिनिकेतन में अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय बांग्लादेश भवन के संबंध में विश्वविद्यालय अधिकारियों की अनिश्चितता बढ़ती जा रही है. बांग्लादेश की नयी अंतरिम सरकार ने अभी विश्वभारती से संपर्क नहीं किया है. केंद्र सरकार की ओर से भी कोई संकेत या निर्देश नहीं मिला है. इसलिए विश्वभारती का बांग्लादेश भवन में संग्रहालय कब खुलेगा, इसे लेकर संशय बना हुआ है. विश्वभारती के अधिकारी भी कोई जोखिम नहीं लेना चाहते. बांग्लादेश में नयी सरकार का गठन हुए लगभग दो महीने हो चुके हैं. अभी तक विश्वभारती और नयी सरकार के बीच संवाद या समन्वय नहीं हुआ है. मालूम रहे कि विश्वभारती का बांग्लादेश भवन बांग्लादेश के राजकोष से बनाया गया था. बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति से लेकर 1971 के मुक्ति संग्राम के तमाम दस्तावेज, जानकारी व कलाकृतियां इस संग्रहालय में मौजूद हैं. हर कोई यह जानने को उत्सुक है कि इमारत का संग्रहालय सैलानियों व विदेशियों से लेकर आम जनता के लिए कब खोला जायेगा. गौरतलब है कि इंटरनेशनल बांग्लादेश बिल्डिंग को विश्वभारती के इंदिरा गांधी नेशनल सॉलिडैरिटी सेंटर के मैदान में बनाया गया था. इस मद में तब 40 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 25 मई 2018 को इस भवन का उद्घाटन किया था. उद्घाटन समारोह में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मौजूद थीं. इस इमारत का डिजाइन बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने खुद बनाया था. बाद में बांग्लादेश सरकार ने इस इमारत के प्रबंधन के लिए 10 करोड़ रुपये आवंटित किये थे. समझौता यह था कि इस पैसे को बैंक में जमा कर ब्याज की राशि से बांग्लादेश भवन का रखरखाव किया जायेगा. यह इमारत विश्वभारती प्राधिकरण के जिम्मे रहेगी. इमारत में संग्रहालय के अलावा एक पुस्तकालय, सम्मेलन-कक्ष, थिएटर भी हैं. विश्वभारती के बांग्लादेश भवन में समग्र व अखंड बंगाल का साझा इतिहास, भाषा व संस्कृति पर शोध करने की सुविधाएं भी हैं. हर साल लगभग 40 बांग्लादेशी छात्र-छात्राओं को विश्वभारती में प्रवेश दिया जाता है. विश्वभारती में फिलहाल 35 बांग्लादेशी छात्र हैं. विश्वभारती शांतिनिकेतन आनेवाले पर्यटकों का कहना है कि वे लोग शांतिनिकेतन आये हैं और बांग्लादेश भवन तथा संग्रहालय देखना चाहते थे. मुक्ति संग्राम के कई बहुमूल्य दस्तावेज़ और पुस्तकें यहां मौजूद हैं. ना देख पाने से निराश होकर वे लोग घर लौट रहे है. यहां तक कि 15 जुलाई को बांग्लादेश का प्रतिनिधिमंडल शांतिनिकेतन आया और पूर्व हसीना सरकार की ओर से मुजीबुर रहमान की बड़ी मूर्ति बांग्लादेश भवन में संरक्षण के लिए विश्वभारती को सौंपी गयी. विश्वभारती के कार्यवाहक जनसंपर्क अधिकारी अतिग घोष ने कहा, “बांग्लादेश की नयी सरकार ने अब तक कोई संवाद नहीं किया है. भारत सरकार की ओर से भी कोई निर्देश नहीं आया है ऐसे में बांग्लादेश भवन को नहीं खोला जा सकता है. गाइडलाइंस मिलने के बाद इसे जनता के लिए खोल दिया जायेगा.” हालांकि, यह ज्ञात है कि कार्यालय व पुस्तकालय छात्रों के लिए खुले हैं.

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