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Diwali 2024: ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल के शिक्षक और छात्र-छात्राओं ने खायी कसम, इस बार दिवाली में जलायेंगे केवल मिट्टी के दीये

Diwali 2024: जमुई शहर के ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्रा व शिक्षकों ने पटाखों से परहेज कर मिट्टी का दीया जला कर हरित दिवाली मनाने का संकल्प लिया.

Diwali 2024: जमुई. दीपावली का त्योहार मिट्टी के दीये से जुड़ा है. यही हमारी संस्कृति में रचा बसा हुआ है. दीया जलाने की परंपरा वैदिक काल से रही है. भगवान राम की अयोध्या वापसी की खुशी में यह त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाने की परंपरा चली आ रही है. शास्त्रों में मिट्टी के बने दीये को पांच तत्वों का प्रतीक माना गया है. मगर, गुजरते वक्त के साथ इस त्योहार को मनाने का तरीका भी बदलता गया. आधुनिकता की आंधी में हम सबने अपनी पौराणिक परंपरा को छोड़कर दीपावली पर बिजली की लाइटिंग के साथ तेज ध्वनि वाले पटाखे फोड़ने शुरू कर दिये. इससे एक तरफ मिट्टी के कारोबार से जुड़े कुम्हारों के घरों में अंधेरा रहने लगा, तो ध्वनि और वायु प्रदूषण फैलानेवाले पटाखों को अपना कर अपनी सांसों को ही खतरे में डाल दिया. प्रभात खबर की पहल पर शनिवार को जमुई शहर के ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्रा व शिक्षकों ने पटाखों से परहेज कर मिट्टी का दीया जला कर हरित दिवाली मनाने का संकल्प लिया.

पर्यावरण बचेगा तभी आयेगी असली खुशहाली

शहर के महिसौडी स्थित ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं ने इस साल मिट्टी का दीया जलाकर प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाने का संकल्प लिया. छात्र-छात्राओं ने कहा कि जब पर्यावरण बचेगा, तभी जीवन में असली खुशहाली आयेगी. मिट्टी का दीप जलाकर वे दूसरों का घर भी रोशन करेंगे. इससे पहले स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने छात्राओं को दीपावली की परंपरा और मिट्टी के दीये की अहमियत बतायी और प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाने का संकल्प दिलाया.

इलेक्ट्रिक झालरों से होती है बिजली की बर्बादी

संकल्प दिलाते हुए विद्यालय सचिव कुसुम सिन्हा ने कहा कि बदलते दौर में दीपावली पर हम अपने घरों को बिजली के झालरों से रोशन करते हैं, जिससे बिजली की बर्बादी होती है. झालर का उपयोग कर हम सब अपने ही इलाके में बेरोजगारी और गंदगी बढ़ा रहे हैं. लाइट का उपयोग करने से मिट्टी के दीये बनानेवाले बेरोजगार होते जा रहे हैं और हमारा पर्यावरण भी दूषित हो रहा है. पर्यावरण प्रदूषण के उन्होंने कई उदाहरण दिये और कहा कि पटाखे फोड़ कर हम सब ध्वनि प्रदूषण तो करते ही हैं, साथ ही वायु प्रदूषण भी बढ़ाते हैं.

धुंध छाने से पर्यावरण के नुकसान पर चर्चा

प्रभात खबर के इस अभियान के तहत दीपावली में पटाखों की धुंध छाने से पर्यावरण को होनेवाले नुकसान पर भी चर्चा हुई. शिक्षिकाओं ने इस पर प्रकाश डाला और छात्राओं को बताया कि पटाखों और इसकी धुंध से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, बल्कि सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है.

पटाखों से होने वाले नुकसान

  • पर्यावरण प्रदूषित होता है
  • वायु प्रदूषण से बढ़ रहा तापमान
  • सेहत को पहुंच सकता है नुकसान
  • हो सकता है अस्थमा
  • फेफड़ों व हृदय का रोग
  • फेफड़ों की क्षति का जोखिम
  • आंखों में जलन
  • खुजली की समस्या
  • सांस लेने की समस्या
  • नाक और गले में बढ़ सकती है जलन

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शिक्षक-शिक्षिकाओं ने कहा

  • दिवाली पटाखे का नहीं बल्कि रोशनी का पर्व है. दिवाली पर बिल्कुल भी पटाखे न जलाएं. घर को दीयों से सजाएं. दीया जलाने से वातावरण में मौजूद हानिकारक तत्व नष्ट होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार होता है. वैसे भी पटाखे से नुकसान ही नुकसान है. -कुसुम सिन्हा, सचिव
  • रंगोली और दीयों वाली प्रदूषणमुक्त दीपावली मनाएं. दीपावली में इस बार मिट्टी के दीयों से घरों को रोशन करें, ताकि सकारात्मक ऊर्जा बने. मिट्टी के दीये का धार्मिक महत्व भी है. पटाखा तो बिल्कुल न छोड़ें. इससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है. -डॉ मनोज कुमार सिन्हा, निदेशक
  • दिवाली खुशियों का त्योहार है, पर हमें दिवाली मनानी है, तो पर्यावरण का भी ख्याल रखना होगा. मगर, इस दिन लोग दीये की जगह रंग-बिरंगे बल्ब व झालर जलाकर घरों को सजाते हैं. खुशी जताने के लिए पटाखे तो जलाते है, पर इससे वायु और ध्वनि प्रदूषण होता है. -सीमातानी जाना हाजरा, शिक्षिका
  • हमें पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित दीपावली मनाने के बारे में सोचना होगा. इस लिहाज से इलेक्ट्रॉनिक लाइटों के बजाय मिट्टी के दीयों का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें. इससे परंपरा का निर्वाह होगा और मिट्टी के दीपक बनानेवालों को भी आर्थिक मदद मिल जाएगी. -ज्ञानेंद्र कुमार, शिक्षक
  • मिट्टी का दीया हमारी परंपरा को जीवंत रखेगा और अतिरिक्त बिजली की बचत भी होगी. कोशिश यह हो कि दीपावली की खुशियों में हम पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाएं मिट्टी का दीया जला कर दीपावली मनाएं, पर इस दिन पटाखे से पूरी तरह परहेज करें. -दीपक कुमार, शिक्षक
  • पटाखों से निकलने वाले रसायन हमारे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं. इस दिवाली को हम सभी लोग पटाखे रहित, प्रदूषण मुक्त व प्रकृति पोषक त्योहार के रूप में मनाएं घरों को रोशन करने के लिए मिट्टी के दीयों का ही इस्तेमाल करें. -अभिषेक कुमार, शिक्षक
  • दीपावली में बिजली के झालर की जगह मिट्टी के दीये जलाएं. इससे बिजली की बचत होगी और कुम्हारों के घरों में भी दीपावली मनेगी. पटाखे से दूरी बना लेनी चाहिए, क्योंकि पटाखों का धुआं हवा में घुल कर फेफड़े में जाता है, जिसके कई साइड इफेक्ट हो सकते हैं. -रंजना सिंह, शिक्षिका
  • दीपावली का मतलब ही है मिट्टी का दीया, पर हम सब बिजली के जगमगाते झालर लगाते हैं. इससे बिजली का अनावश्यक खर्च बढ़ता है और हुनर वाले हाथों को भी ब्रेक लगता है. पटाखा नुकसान पहुंचाता है. इसलिए पटाखा न छोड़ दीया जलाकर प्रकाश पर्व मनाएं. -पल्लवी कुमारी, शिक्षिका
  • दिवाली का असली मतलब रोशनी फैलाना है, न कि धुएं से अंधेरा करना . इस बार हमें मिट्टी के दीयों का प्रयोग करना चाहिए, ताकि हम पर्यावरण की भी रक्षा कर सकें. पटाखों से केवल नुकसान होता है. आइए, इस बार हम एक प्रदूषण-मुक्त दिवाली मनाएं. -शिवांगी शरण, शिक्षिका
  • दिवाली का मतलब है परिवार और खुशियां. पटाखों की बजाय, मिट्टी के दीये और रंग-बिरंगी रंगोली का चुनाव करना चाहिए. इससे घर खूबसूरत दिखेगा और वातावरण भी साफ रहेगा. बच्चों को सिखाना चाहिए कि दिवाली में दीये जलाना और मिठाइयां बांटना असली खुशी है. -कुमारी प्रेमलता, शिक्षिका
  • दिवाली पर पटाखों से निकलने वाला धुआं फेफड़ों के लिए हानिकारक है. हमें इस त्योहार को सुरक्षित और स्वस्थ तरीके से मनाना चाहिए. मिट्टी के दीये जलाने से हम सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित कर सकते हैं. प्रभात खबर की यह मुहिम पर्यावरण के लिये हितकर है. -एकता कुमारी, शिक्षिका
  • दिवाली का त्योहार खुशियों का है, लेकिन यह हमें अपने पर्यावरण की भी चिंता करने की याद दिलाता है . इस बार हमें दीयों के माध्यम से अपनी खुशियां मनानी चाहिए, न कि पटाखों से प्रदूषण फैलाकर. दिवाली पर जब हम दीये जलाते हैं, तो यह न केवल हमारे घरों को रोशन करता है, बल्कि यह हमारे भीतर भी सकारात्मकता का संचार करता है. मैं प्रभात के इस मुहिम में बिल्कुल साथ हूं. -ऋतुराज सिन्हा, प्राचार्य
  • दिवाली पर सजावट के लिए मिट्टी के दीयों का उपयोग करने से हम अपनी परंपरा को भी जीवित रख सकते हैं. हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस उत्सव में हम अपने आसपास के वातावरण को नुकसान न पहुंचायें. -कुणाल कुमार, शिक्षक
  • दिवाली का असली उद्देश्य प्रेम और एकता फैलाना है. अगर हम पटाखों का प्रयोग नहीं करें, तो हम एक सकारात्मक संदेश भी भेज सकते हैं कि हम पर्यावरण की देखभाल करते हैं. हमें अपने समुदाय में एक ऐसा माहौल बनाना चाहिए जहां दिवाली के दौरान सभी लोग मिलकर दीयों से अपने घरों को सजाएं. -सुबोध कुमार, शिक्षक

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