मुख्यमंत्री ने फतुहा–हरनौत–बाढ़ एनएच–30ए पर दनियावां बाइपास आरओबी का किया उद्घाटन संवाददाता, पटना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना जिला के दनियावां में फतुहा–हरनौत–बाढ़ एनएच–30ए पथ परियोजना अंतर्गत दनियावां बाइपास आरओबी का उद्घाटन किया. इसके बाद उन्होंने दनियावां आरओबी का निरीक्षण कर कहा कि इसके बन जाने से लोगों को आवागमन में काफी सुविधा होगी. रेलवे गुमटी के कारण पहले यहां अक्सर जाम की समस्या हुआ करती थी. अब इसके शुरू हो जाने से वाहनों का परिचालन सुचारू रूप से होगा. गौरतलब है कि फतुहा–हरनौत–बाढ़ पथ एनएच-30ए फतुहा से शुरू होकर दनियावां, जैतीपुर मोड़, हरनौत, सकसोहरा होते हुए बाढ़ तक जाती है. इसकी कुल लंबाई 71.77 किमी है. वर्तमान में 1.17 किमी दनियावां बाइपास का निर्माण रेलवे द्वारा प्रस्तावित रेलवे लाइन के लिए नये आरओबी को समाहित करते हुए पूर्ण कर लिया गया है. दनियावां बाइपास के निर्माण का मुख्य उद्देश्य दनियावां बाजार में स्थित रेलवे फाटक के कारण लगने वाले ट्रैफिक जाम से निराकरण और यातायात व्यवस्था को सुगम बनाना है. इस सड़क पर आवागमन शुरू होने से पटना जिला और नालंदा जिला के बीच बेहतर संपर्कता हो जायेगी. इस सड़क की लंबाई पटना जिला में 36.474 किमी और नालंदा जिला में 35.30 किमी है. इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ एस सिद्धार्थ, मुख्यमंत्री के सचिव कुमार रवि, पथ निर्माण विभाग के सचिव बी कार्तिकेय धनजी, आयुक्त पटना प्रमंडल मयंक बरबड़े, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के अध्यक्ष शीर्षत कपिल अशोक, जिलाधिकारी डॉ चंद्रशेखर सिंह, वरीय पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा आदि मौजूद रहे. सीएम ने बख्तियारपुर काली मंदिर के जीर्णोद्धार का किया शुभारंभ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना जिला के बख्तियारपुर स्थित काली मंदिर (महारानी स्थान) के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण का उद्घाटन किया. साथ ही उन्होंने काली मंदिर में पूजा–अर्चना कर राज्य की सुख–शांति एवं समृद्धि की कामना की. इसके बाद मुख्यमंत्री ने बख्तियारपुर काली मंदिर से सटे राधाकृष्ण मंदिर में भी पूजा–अर्चना की. उल्लेखनीय है कि इस प्रसिद्ध काली मंदिर की स्थापना लगभग दो सौ वर्ष पहले हुई थी. मंदिर का पौराणिक नाम महारानी स्थान, बख्तियारपुर है. मंदिर में काली मां की मूर्ति के साथ–साथ मां दुर्गा के नौ रूपों की मूर्ति स्थापित है. साथ ही अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति भी एक ही मंदिर में स्थापित है. स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं द्वारा करीब दो वर्ष में इस पौराणिक मंदिर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण कराया गया है.
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