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राज्य में दस हजार स्थानों पर जलायी गयी पुआल, मैदानी भागों का पर्यावरण बिगड़ा

वर्ष 2023 के अक्तूबर से दिसंबर और इस वर्ष जनवरी से जून तक राज्यभर में 9852 जगहों पर पुआल जलायी गयी.

मनोज कुमार, पटना वर्ष 2023 के अक्तूबर से दिसंबर और इस वर्ष जनवरी से जून तक राज्यभर में 9852 जगहों पर पुआल जलायी गयी. रोहतास, कैमूर, बक्सर और भोजपुर जिले में सबसे अधिक पुआल जली. पूर्वी चंपारण, सीवान, पटना, नालंदा, औरंगाबाद व लखीसराय में भी फसल अवशेष जलाये गये. बिहार रिमोट सेंसेनिंग एप्लीकेशन सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार, रबी और खरीफ दोनों मौसमों में फसल अवशेष (पुआल) जलायी गयी. इससे बिहार के गंगा के मैदानी भाग में पर्यावरण प्रदूषित हुआ है. अप्रैल, मई और नवंबर, दिसंबर माह में सबसे अधिक पुआल जलायी गयी. इस साल रोहतास में अप्रैल माह में 2082 जगहों पर जली पुआल : जनवरी 2024 में पश्चिमी चंपारण में 28 व रोहतास में 14, फरवरी में पश्चिम चंपारण में 86, गोपालगंज में 23, पूर्वी चंपारण में 17, मार्च में पश्चिम चंपारण में 348, गोपालगंज में 76 और पूर्वी चंपारण में 55 जगहों पर पुआल जलायी गयी. अप्रैल में रोहतास में 2082, कैमूर में 1191, बक्सर में 587, भोजपुर में 268, नालंदा में 200 स्थानों पर फसल अवशेष जलाये गये, जबकि मई माह में रोहतास में 382, बक्सर में 265, कैमूर में 261, भोजपुर में 221, जून में खगड़िया में 18, औरंगाबाद में नौ, पटना में नौ और रोहतास में सात जगहों पर पुआल जलायी गयी. अक्तूबर 2023 में रोहतास में 17, पूर्वी चंपारण में 15 व पश्चिम चंपारण में पांच, नवंबर में कैमूर में 59, नालंदा में 52 रोहतास में 51, बक्सर में 36, पश्चिम चंपारण में 31 जगहों पर पुआल जलायी गयी.

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