14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सोने की लगातार बढ़ती चमक

Gold Rate : हॉलमार्क अनिवार्य होने से आभूषणों की शुद्धता सुनिश्चित करना संभव हो सकेगा. इससे यह भी पता चल सकेगा कि पहले और आभूषण बनने के बाद सोने की गुणवत्ता कितनी प्रभावित हुई है, जिससे निवेशकों को बेहतर प्रतिफल मिलने में मदद मिलेगी.

Gold Rate : मार्च 2019 से मार्च 2024 के दौरान सोने की कीमत में लगभग 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. मौजूदा परिदृश्य में यह दिसंबर तक 80 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार कर सकता है. एक जनवरी 2024 को 24 कैरेट 10 ग्राम सोने की कीमत 63,352 रुपये थी, जो 79,710 रुपये के स्तर पर है. सोने की कीमत में निरंतर वृद्धि होने के कारण सितंबर में वैश्विक बाजार में सोने का औसत दैनिक कारोबार 18 लाख करोड़ रुपये हो गया था, जो अप्रैल 2024 की तुलना में 13 प्रतिशत कम है, पर 2023 के औसत 13.6 लाख करोड़ रुपये से 32.51 प्रतिशत अधिक है.

वैश्विक आर्थिक माहौल के नरम रहने, कुछ देशों में मंदी की आशंका, लंबे समय से भू-राजनीतिक संकट कायम रहने, अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा 18 सितंबर को नीतिगत दरों में 0.50 आधार अंकों की कटौती करने आदि के कारण निवेशकों का भरोसा डॉलर पर से उठ रहा है और लोग सोने में निवेश करना बेहतर समझ रहे हैं. भारत में लंबे समय से नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किया गया है, जिससे बैंक और दूसरे वित्तीय संस्थानों में जमा पर ब्याज दर कम है. तो, निवेशक अधिक प्रतिफल के लिए सोने में निवेश कर रहे हैं.


कीमत बढ़ने से इसके प्रतिफल में भी तेजी आयी है. निवेशकों को एक सप्ताह में 0.2 प्रतिशत, एक महीने में 0.4 प्रतिशत, 2024 में 21 प्रतिशत, एक साल में 30 प्रतिशत और तीन सालों में 62 प्रतिशत का प्रतिफल मिला है. भारतीय मानक ब्यूरो ने 14, 18, 22, 23 और 24 कैरेट से बने आभूषणों का 2022 से हॉलमार्किंग कर रखा है. आगामी जनवरी से केंद्र सरकार आभूषण निर्माण में इस्तेमाल होने वाली हॉलमार्किंग को अनिवार्य करने जा रही है, जिसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने की योजना है. हॉलमार्किंग को लेकर बनी समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है.

हॉलमार्क अनिवार्य होने से आभूषणों की शुद्धता सुनिश्चित करना संभव हो सकेगा. इससे यह भी पता चल सकेगा कि पहले और आभूषण बनने के बाद सोने की गुणवत्ता कितनी प्रभावित हुई है, जिससे निवेशकों को बेहतर प्रतिफल मिलने में मदद मिलेगी. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, स्विट्जरलैंड ने मई 2024 में दुनिया में सबसे अधिक 2,461 करोड़ रुपये का सोना खरीदा, जबकि चीन ने 2,109 करोड़ रुपये का. भारत 722 करोड़ रुपये की खरीद के साथ तीसरे स्थान पर रहा. बीते पांच वित्त वर्षों में भारत ने अपने सोने की जमा में लगभग 204 टन की बढ़ोतरी की है. मार्च 2019 में 618.2 टन सोना भारतीय रिजर्व बैंक में जमा था, जो 31 मार्च 2024 को 33 प्रतिशत बढ़कर 822.1 टन हो गया. इसमें से 408.3 टन देश में और 413.8 टन विदेश में जमा था.


सोने के भंडार के मामले में अमेरिका 8,133.46 टन के साथ दुनिया में पहले स्थान पर है, जबकि जर्मनी 3,352.65 टन सोना के साथ दूसरे स्थान पर. इटली 2,451.84 टन के साथ तीसरे स्थान पर है. फिर फ्रांस, रूस, चीन, स्विट्जरलैंड, जापान, भारत और नीदरलैंड जैसे देशों का स्थान है, जो वैश्विक स्तर पर क्रमशः पांचवें, छठवें, सातवें, आठवें, नौवें और दसवें स्थान पर हैं. यह एक स्थापित और जगजाहिर तथ्य है कि सोने का महत्व अतुलनीय है. यदि किसी देश की मुद्रा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर होती है, तो सोने का भंडार उस देश की क्रय शक्ति और आर्थिक स्थिरता को बनाये रखने में प्रमुखता से मदद करता है.

वर्ष 1991 में जब भारतीय अर्थव्यवस्था संकट में थी और उसके पास आयात करने के लिए पर्याप्त मात्रा में डॉलर नहीं थे, तो भारत ने सोने को गिरवी रखकर पैसे जुटाये थे और एक गंभीर आर्थिक संकट से बाहर निकलने में सफल रहा था. यदि किसी देश के पास पर्याप्त सोने का भंडार है, तो उसकी अर्थव्यवस्था को मजबूत माना जाता है. इससे यह भी पता चलता है कि वह देश अपनी अर्थव्यवस्था प्रबंधन अच्छी तरह से कर रहा है. दूसरे देश और वैश्विक वित्तीय संस्थान भी ऐसे देश पर ज्यादा भरोसा करते हैं. इस तरह, सोने का भंडार किसी भी देश की मुद्रा की कीमत का समर्थन करने के लिए एक सशक्त आधार प्रदान करता है.


भारत में सोने का महत्व आदिकाल से बना हुआ है और मौजूदा परिप्रेक्ष्य और आने वाले दिनों में भी इसकी मांग में कमी आने के आसार नहीं हैं. भारतीय रिजर्व बैंक और दूसरे देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा अधिक खरीद करने के कारण भी सोने की कीमत में इजाफा हुआ है. देश में सोने की खरीद-फरोख्त और सोने की हॉलमार्किंग करने के कारण निवेशकों का सोने में निवेश करने के प्रति भरोसा बढ़ रहा है, जिसके कारण भी सोने की कीमत में वृद्धि हो रही है. निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि सोना देश के वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में निवेशकों को आकर्षक प्रतिफल दे रहा है एवं वैश्विक स्तर पर प्रमुख देशों की अर्थव्यवस्था के नरम रहने, डॉलर में कमजोरी आने, वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक संकट के बने रहने, महंगाई से पूरी तरह से राहत नहीं मिलने, सोने की मांग लगातार बढ़ने आदि कारकों के कारण हाल-फिलहाल में सोने की कीमत कम नहीं होने वाली है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें