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बायसी पंचायत स्थित काली मंदिर की दूर-दूर तक है फैली ख्याति

सच्चे मन से मन्नत मांगने वालों की पूरी होती है मुरादें

सच्चे मन से मन्नत मांगने वालों की पूरी होती है मुरादें

करजाईन. राघोपुर प्रखंड अंतर्गत करजाईन थाना क्षेत्र के बायसी पंचायत स्थित काली मंदिर की महिमा अपरंपार है. श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास यहां की माता पर है. जो भी भक्त सच्चे मन से मन्नत मांगते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. मन्नतें पूरी होने पर यहां सालों भर छाग की बलि दी जाती है. लेकिन काली पूजा पर छागबली की विशेष परंपरा है. स्थानीय लोगों की मानें तो लगभग 150 सालों से भी अधिक समय से यहां मां काली की पूजा की जा रही है. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार यह बताया जाता है कि तत्कालीन गढ़ बनेली स्टेट के राजा ने अपनी बहन सिंहेश्वरी दाय को वायसी मौजा दान में दिया था. जिसमें 2200 बीघा जमीन था. जिसके नाम पर वायसी पड़ा था, उसी समय से यहां मां काली की पूजा होती आ रही है.

मंदिर में संगमरमर की प्रतिमा है स्थापित

बताया जाता है कि शुरुआत में झोपड़ी बनाकर मां काली की पूजा-अर्चना शुरू की गई थी. वर्ष 1967 में करजाईन विराजी टोला निवासी बाबूजी बड़ियेत के सौजन्य से पक्का मंदिर बनाया गया. बताया जाता है कि 1977 में मंदिर का सौंदर्यीकरण किया गया. बुजुर्गों ने बताया कि वर्ष 1930 से 1980 तक पंडित राजा मिश्रा, कुलदीप कुमार व अन्य गणमान्य लोगों की देखरेख में पूजा अर्चना की जाती थी. इसके बाद वर्ष 1985 से पंडित तारानंद झा और पुरोहित भीमराज नायक नियमित रूप से मंदिर में पूजा अर्चना कर रहे हैं. वर्तमान में पंडित नवीन पाठक 03 वर्षों से माता की पूजा अर्चना में जुटे हैं. पहले यहां मिट्टी की प्रतिमा बनाकर मां काली की पूजा की जाती थी. वर्ष 1993 में बायसी निवासी कैलाश कुमार की पत्नी सिंहेश्वरी देवी ने विधि विधान से संगमरमर से प्रतिमा स्थापित की.

काली पूजा पर कुश्ती का होता है आयोजन

बुजुर्गों ने बताया कि स्व कामेश्वर गुरमैता एवं स्व सुदुम लाल यादव के प्रयास से काली पूजा पर यहां मेला एवं कुश्ती का आयोजन शुरू किया गया. जो अभी तक जारी है. बताया कि इन लोगों के प्रयास से 1960 से 70 के दशक में भी कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता था. जो आज भी होता आ रहा है. भव्य रूप से काली पूजा में मंदिर की सजावट एवं पूजा अर्चना की जाती है. वर्तमान समय में आसपास के कई प्रखंडों सहित पड़ोसी देश नेपाल के लोगों का श्रद्धा और आस्था का केंद्र बना है. श्रद्धालु दूर-दराज से आकर माता की पूजा अर्चना करते हैं. अभी भी भव्य काली मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. जिसे पूरा होने में अभी 02 से 03 वर्ष और लगेंगे.

मां की महिमा अपरंपार

पंडित नवीन पाठक ने बताया कि मां की महिमा अपरंपार है. पिछले तीन-चार वर्षों से वे इस मंदिर में हैं. जिसमें अनेक ऐसी महिमा देखने को मिली है, चाहे वह संतान प्राप्ति की हो, स्वास्थ्य समृद्धि की हो या फिर कोई अन्य समस्याएं हो. भक्त अगर सच्चे मन से यहां आस्था के साथ आते हैं, वह कभी खाली हाथ नहीं लौटते.

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