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Samastipur News: वर्ग तीन से ही बच्चे कला व शारीरिक शिक्षा ग्रहण करेंगे

Samastipur News: Children will take art and physical education from class three onwards.

Samastipur News: Children will take art and physical education from class three onwards. राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद की ओर से पाठ्यक्रम व पाठ्यपुस्तक किया जा रहा है तैयार

Samastipur News: Children will take art and physical education from class three onwards. समस्तीपुर: अब सरकारी विद्यालयों में तीसरी कक्षा से ही विद्यार्थी कला और शारीरिक शिक्षा ग्रहण करेंगे. कला की बारीकियों के बारे में सीखेंगे. विभिन्न कला विधा से अवगत होंगे. इसके साथ ही शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए विभिन्न अभ्यासों के बारे में शिक्षा ग्रहण करेंगे. दरअसल राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में अब कक्षा तीन से कला और शारीरिक शिक्षा की पढ़ाई शुरू कराई जाएगी. इसके लिए राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद की ओर से पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तक तैयार किया जा रहा है. पाठ्य पुस्तकें तैयार होते ही जल्द इसे विद्यालयों में बच्चों की पढ़ाई के लिए उपलब्ध करायी जाएगी. सरकारी विद्यालयों के बच्चे कला की प्रतिभा को निखारने और किसी भी तरह की खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए शारीरिक रूप से स्वस्थ रहें. इसके लिए ज्ञानवर्धन करने को इस तरह का निर्णय लिया गया है. अब तक विद्यालयों में कला और खेल की पढ़ाई नहीं होती थी. पहले बच्चे केवल किसी आयोजनों में तैयारी कर प्रस्तुति देते थे. लेकिन, अब इस करिकुलम में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा.

कला शिक्षा छात्रों के लिए क्यों आवश्यक है?

Samastipur News: Children will take art and physical education from class three onwards.शारीरिक शिक्षा ही आप में साकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है, जिसके माध्यम से आप चुनौतियों को भी हंसकर स्वीकार करते हैं.

डीपीओ एसएसए मानवेंद्र कुमार राय बताते है कि जो छात्र कला में अपना कैरियर बनाने में रुचि रखते हैं, वे कला शिक्षा के माध्यम से आवश्यक प्रशिक्षण और अनुभव प्राप्त कर सकते हैं. जो छात्र किसी विशेष क्षेत्र, जैसे विज्ञान या व्यवसाय में रुचि रखते हैं, वे कला शिक्षा में सीखे गए कौशल का उपयोग उस क्षेत्र को बेहतर ढंग से समझने के लिए कर सकते हैं. ये कौशल न केवल कलात्मक प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी काम आते हैं. कक्षा में कला को एकीकृत करके, शिक्षक छात्रों को रचनात्मक समस्या-समाधान, नवीन सोच और कल्पनाशील अन्वेषण में संलग्न होने के अवसर प्रदान कर सकते हैं. वहीं, शारीरिक शिक्षा एक ऐसी साधना है जो मानव को स्वस्थ, सभ्य और बलिष्ट बनाती है. शारीरिक शिक्षा ही मानव को हर प्रकार के संघर्ष का सम्मान करना सिखाती है, शारीरिक शिक्षा ही समस्याओं का समाधान खोजने के लिए आपको प्रेरित करती है. शारीरिक शिक्षा ही आप में साकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है, जिसके माध्यम से आप चुनौतियों को भी हंसकर स्वीकार करते हैं. आधुनिक शारीरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य उन गतिविधियों को बढ़ावा देना है जिनके माध्यम से मानव जीवन को और अधिक सरल और आनंदित बनाया जा सकता है. आधुनिक शारीरिक शिक्षा का अभ्यास करने और उन्हें बढ़ावा देने का मुख्य लक्ष्य, मूल रूप से मानव को शिक्षित और उसका विकास करना है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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