Talaq: मद्रास हाईकोर्ट ने एकतरफा तलाक पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया कि अगर मुस्लिम पति तलाक देता है और पत्नी उसे मानने से इनकार करती है, तो कोर्ट के जरिए ही तलाक मान्य होगा. जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने कहा, तलाक पर विवाद हो, तो पति का दायित्व है कि वो कोर्ट को संतुष्ट करे कि उसने पत्नी को जो तलाक दिया है, वो कानून के अनुसार है.
दूसरी शादी करने पर पहली पत्नी को रहने के लिए नहीं किया जा सकता बाध्य
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि पति अगर दूसरी शादी करता है तो पहली पत्नी को साथ में रहने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. मुस्लिम पर्सनल लॉ में पुरुषों को एक से अधिक शादी करने की इजाजत है. कोर्ट ने कहा, इसके बावजूद पहली पत्नी को मानसिक रूप से पीड़ा हो सकती है. कोर्ट ने कहा, अगर पहली पत्नी पति के दूसरी शादी से सहमत नहीं है, तो वो पति से भरण-पोषण का खर्च पाने का हकदार है.
क्या है मामला
कोर्ट पति द्वारा दायर दीवानी review याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें पत्नी को मुआवजा देने के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. पति और पत्नी की शादी 18 अप्रैल, 2010 को इस्लामी रीति-रिवाजों के अनुसार हुई थी. 2018 में पत्नी ने घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम की धारा 12(1) और (2), 18(ए) और (बी), 19(ए), (बी), (सी), और 20(1)(डी) और 22 के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई थी. मजिस्ट्रेट ने पति को पत्नी को मुआवजे के रूप में 5 लाख रुपये और उनके बच्चे के भरण-पोषण के लिए 2500 रुपये प्रति माह देने का निर्देश दिया था.