गोपालगंज. दीपावली का त्योहार गुरुवार को है और इस पर्व की रौनक बाजारों में साफ दिखाई दे रही है. व्यापारी भी इस उत्सव के लिए तैयार हैं और ग्राहकों की भीड़ देखी जा रही है. इस बार दीपावली का पर्व 31 अक्तूबर को मनाया जायेगा. रोजगार की तलाश में गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, कोलकाता जैसे राज्यों में गये श्रमिक भी अब अपने घरों को लौटने लगे हैं. गांव गुलजार हो चुके हैं. प्रवासियों के घर लौटने से गांव का माहौल भी बदल गया है. घरों और प्रतिष्ठानों में सफाई, रंगरोगन, पुराने सामान की बिक्री अंतिम दौर में है. बाजारों में कपड़े, रेडीमेड वस्त्र, पशुधन शृंगार सामग्री, रंग, पटाखों के स्टॉल, सौंदर्य प्रसाधन, किराना सामग्री, लाल रमजी, जूते, दीपावली कैलेंडर, मिठाई, सोने-चांदी के आभूषण, दुपहिया-चार पहिया वाहन शोरूम, इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि की दुकानों में रौनक बढ़ गयी है. गांवों में मिट्टी के दीपक बड़ी संख्या में बनाये जा रहे हैं. चाक पर तैयार किए गए ये दीपक प्राचीन परंपरा के अनुसार घर-घर पहुंचाए जा रहे हैं. दीपावली का त्योहार आने के साथ ही घरों में सजावट का दौर भी शुरू हो गया है. बाजारों में रंग-बिरंगी रोशनी, दीये, मोमबत्तियां, फूलमालाएं और अन्य सजावटी सामान की भरमार है. दीपोत्सव में देसी सामान की मांग बढ़ रही दीपावली से पहले शहर से लेकर ग्रामीण इलाके में सजावटी सामानों का बाजार गरम हो गया है. शहर ही नहीं, जिले के सबसे बड़े होलसेल मार्केट में थोक और रिटेल में सजावटी सामान बिक रहा है. दुकानें सजी हुई हैं. ग्राहकों की भीड़ लग रही है. देसी सामान की मांग बढ़ रही है. तोरन, बंदनवार, हैंगिंग दीये, पानी वाले दीये, मेटल के दीये खूब डिमांड में हैं. ग्राहकों को वैराइटी चाहिए, जिसके लिए कितना भी खर्च करने को तैयार हैं. थोक विक्रेता राजेश्वर चौरसियां बताते हैं कि इस बार भारतीय ब्रांड पर ग्राहकों का जोर है. महंगा होने के बाद भी लोग ब्रांड के सामानों को खरीद रहे हैं. जबकि माधव सिंह बताते हैं कि बाजार में चाइनीज लाइट खूब बिक रही हैं. सचिन का कहना है कि लाइटिंग के मामले में फिलहाल चीन से मुकाबला संभव नहीं है. यदि अपने देश में 15 मीटर की लड़ी बनाएंगी, तो वो 100 रुपये से कम में नहीं पड़ेगी. वहीं चीन की बढ़िया से बढ़िया 15 मीटर लड़ी 40 रुपये में मिल जाती है. दीपावली पर चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान लाइट्स मार्केट पर असर नहीं करता. हर किसी को सस्ता और आकर्षक माल चाहिए. देसी इलेक्ट्रिक आइटम में फिनिशिंग भी कम होती है.
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