रांची. राजधानी में जाम लगने के प्रमुख कारणों में से एक हैं स्कूल बस. हर दिन एक साथ कई स्कूल बसें दोपहर के समय मेन रोड में प्रवेश करती हैं, जिस कारण जाम लगता है. अधिकतर स्कूल की छुट्टी का समय भी लगभग एक ही है. इस कारण भी जाम की स्थिति बनती है. आज तक स्कूल बसों के लिए जिला प्रशासन व ट्रैफिक पुलिस कोई प्लान नहीं बना पायी. साथ ही रूट को लेकर स्कूल प्रबंधन से समन्वय भी नहीं बन पाया, जिस कारण सुबह में दो से ढाई घंटे और दोपहर में दो से ढाई घंटे आम लोगों को परेशानी हाेती है.
स्कूल की छुट्टी के थोड़ी देर बाद ही अधिकतर बसें विभिन्न रूट में निकलती हैं. एक स्कूल के पास कम से कम आठ से दस बसें हैं. कई स्कूल के पास बसों की संख्या इससे भी अधिक है. अधिकतर स्कूलों में जूनियर व सीनियर विंग हैं. जूनियर विंग की छुट्टी का समय अलग होता है और सीनियर विंग की छुट्टी का समय अलग. एक ही स्कूल की बस दिन में दो बार सड़क पर आती है, जिससे जाम की स्थिति बनती है. स्कूल की छुट्टी के समय मेन रोड, हरमू बाइपास रोड, सुजाता से हिनू तक, रातू रोड सहित शहर के अधिकतर रोड जाम हो जाते हैं.ट्रैफिक एसपी ने दिया था सुझाव, लेकिन नहीं बन पायी बात
ट्रैफिक एसपी कैलाश करमाली ने कहा कि स्कूल बसों के कारण लगनेवाले जाम को देखते हुए स्कूल प्रबंधन से बात कर जाम की समस्या का हल निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन बात नहीं बन पायी. पूर्व में चार जोन में बांट कर स्कूल बसों का रूट तय करने का प्रयास किया गया, लेकिन इसके लिए स्कूल प्रबंधन तैयार नहीं हुए. ट्रैफिक एसपी ने जाम से निजात के लिए स्कूल प्रबंधन को सुझाव दिया था कि सेटेलाइट कॉलोनी से हरमू बाइपास रोड होते हुए स्कूल बस बूटी मोड़ तक जाती है, नामकुम से भी कई बसें बूटी मोड़ तक जाती हैं, वे बसें बच्चों को छोड़कर बूटी मोड़ के पास ही रुक जायें. फिर सुबह में उसी रूट से बच्चों को लेकर वापस स्कूल आ जायें. इस प्रकार हर रूट में जाने वाली बस की व्यवस्था की जाये, तो काफी हद तक जाम की स्थिति से निजात मिल जायेगा. लेकिन इसके लिए स्कूल प्रबंधन तैयार नहीं हुए. उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन को राजधानी की जनता के बारे में भी सोचना चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है