28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड के इन दो विधानसभा सीटों पर कभी पिता चटाते थे धूल, अब उनके पुत्र दे रहे हैं टक्कर

अब पिता की जगह पुत्र राजनीतिक के मैदान में एक-दूसरे के खिलाफ जोर आजमाइश करते नजर आ रहे हैं. अविभाजित बिहार में डालटनगंज विधानसभा क्षेत्र से पूर्व स्पीकर इंदर सिंह नामधारी और अनिल चौरसिया(अब दिवंगत) आमने-सामने रहे.

Jharkhand vidhan sabhha chunav 2024, रांची, अविनाश: पलामू में अलग-अलग राजनीतिक रंग देखने को मिल रहा है. वर्षों पुराने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के चेहरे बदल गये हैं. अब पिता की जगह पुत्र राजनीतिक के मैदान में एक-दूसरे के खिलाफ जोर आजमाइश करते नजर आ रहे हैं. अविभाजित बिहार में डालटनगंज विधानसभा क्षेत्र से पूर्व स्पीकर इंदर सिंह नामधारी और अनिल चौरसिया(अब दिवंगत) आमने-सामने रहे.

अनिल चौरसिया तीन चुनाव नामधारी के खिलाफ लड़े. हलांकि, एक भी चुनाव में अनिल चौरसिया को सफलता नहीं मिली. लेकिन, अनिल चौरसिया ने हर चुनाव मजबूती के साथ लड़ा. एकीकृत बिहार में लालू प्रसाद यादव के मंत्रिमंडल से इंदर सिंह नामधारी ने इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद 2000 में हुए चुनाव में अनिल चौरसिया ने राजद प्रत्याशी के रूप पहला चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में जदयू प्रत्याशी के रूप में इंदर सिंह नामधारी ने जीत दर्ज की थी.

तब अनिल चौरसिया ने पार्टी से की थी बगावत

झारखंड बनने के बाद 2005 में जब चुनाव हुआ, तो प्रतिद्वंदी वही रहे, पर राजनीतिक परिस्थिति बदल गयी. तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी के खिलाफ राजद ने अपना प्रत्याशी बदल कर अनिल चौरसिया की जगह ज्ञानचंद पांडेय को मैदान में उतारा. तब पार्टी से बगावत कर अनिल चौरसिया निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतर गये. इस चुनाव में भी निर्दलीय प्रत्याशी रहते हुए भी अनिल चौरसिया ने कड़ी टक्कर दी. हलांकि, इसमें भी अनिल को सफलता नहीं मिली. इस चुनाव में नामधारी की जीत का अंतर पांच हजार से कम का रहा था.

2009 में नामधारी चतरा से सांसद चुने गये

2007 में डालटनगंज में विस उपचुनाव हुआ. दो साल पहले हुए चुनाव में अनिल चौरसिया के प्रर्दशन को देखते हुए आजसू ने नामधारी को राजनीतिक पटकनी देने के लिए अनिल चौरसिया पर दांव लगाया. उसके बाद भी नामधारी ने यह राजनीतिक जंग जीता था. 2009 में नामधारी चतरा से सांसद चुने गये. उसके बाद 2014 में इंदर सिंह नामधारी ने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया. अनिल चौरसिया का भी 2009 के चुनाव के बाद असामयिक निधन हो गया. 2014 के चुनाव में दिवंगत अनिल चौरसिया के पुत्र आलोक चौरसिया को पहले ही चुनाव में जीत मिल गयी. 2019 का चुनाव आलोक ने भाजपा के टिकट से जीता.

आलोक-दिलीप और सूरज-बिट्टू हैं आमने-सामने

बात यदि 2024 के चुनाव की करें, तो परंपरागत राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे नेताओं के पुत्र चुनावी समर में आमने-सामने हैं. आलोक चौरसिया भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, इंदर सिंह नामधारी के पुत्र दिलीप सिंह नामधारी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं. इसी तरह पांकी विस की भी यही स्थिति है. पांकी विस क्षेत्र से विदेश सिंह और मधु सिंह (दोनों दिवंगत) की राजनीतिक प्रतिद्वंद्वता की चर्चा एक जमाने में पूरे झारखंड में होती थी. पहली बार मधु सिंह ने 1990 का चुनाव जीता था. इसके बाद 2000 के चुनाव में विदेश सिंह मधु सिंह से महज 35 वोट से हार गये थे. इस चुनाव के बाद अलग झारखंड राज्य बना था, जिसमें मधु सिंह मंत्री बने थे. विदेश सिंह ने न्यायालय में मधु सिंह के निर्वाचन को चुनौती दी थी.

झारखंड विधानसभा चुनाव की खबरें यहां पढ़ें

विदेश सिंह ने लगातार 2005, 2009 और 2014 का चुनाव जीता

2005 के चुनाव के कुछ दिन पहले इस मामले में विदेश सिंह के पक्ष में फैसला आया था. उसके बाद विदेश सिंह ने लगातार 2005, 2009 और 2014 का चुनाव जीता. 2016 में उनके निधन के बाद पुत्र देवेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू सिंह चुनाव जीते. 2024 के चुनाव में बिट्टू सिंह कांग्रेस का टिकट चाह रहे थे, लेकिन टिकट पूर्व मंत्री मधु सिंह के पुत्र लाल सूरज को मिला. बिट्टू निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान हैं.

Read Also: झारखंड की राजनीति में बढ़ रही आधी आबादी की धमक, कहीं बेटी तो कहीं पत्नियां सभांल रही विरासत, जनिए अब तक का इतिहास

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें