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जामुड़िया का डकैत काली मंदिर: एक अनोखी कहानी स्वतंत्रता और भक्ति की

लगभग 200 साल पहले, अंग्रेजों ने भारतीयों पर अत्याचार किये और उनसे नील की खेती करायी.

जामुड़िया. जामुड़िया के औद्योगिक क्षेत्र इकड़ा स्थित नील वन का डकैत काली मंदिर अंचल का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है, जो बंगाल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और स्वतंत्रता संग्राम की गाथा को दर्शाता है. लगभग 200 साल पहले, अंग्रेजों ने भारतीयों पर अत्याचार किये और उनसे नील की खेती करायी. इस अत्याचार से त्रस्त होकर, समाज के कुछ युवकों ने अंग्रेजों के विरुद्ध बिगुल फूंक दिया और नील वन में मां काली के मंदिर की स्थापना की. यह मंदिर डकैत का काली मंदिर कहलाया, जो अंग्रेज अधिकारियों के लिए एक भय का स्थल था. वैसे तो यह मंदिर 200 वर्ष पुराना है. आजादी के बाद, मंदिर उपेक्षित हो गया, लेकिन लगभग 31 वर्ष पहले चटर्जी परिवार के गगन चटर्जी के सपने में मां काली ने कहा कि मंदिर बिना पूजा अर्चना के ध्वंस हो रहा है. गगन चटर्जी ने परिजनों की मदद से मंदिर की खोज की उसकी मरम्मत कायी और वेदी का निर्माण किया. आज भी, चटर्जी और बनर्जी परिवार के लोग काली पूजा के दिन मंदिर में पूजा करते हैं. यह कहानी बंगाल की सांस्कृतिक धरोहर और स्वतंत्रता की लड़ाई में आम लोगों की भागीदारी को प्रदर्शित करती है. डकैत काली मंदिर एक अनोखा उदाहरण है कि कैसे भक्ति और स्वतंत्रता की भावना ने लोगों को एकजुट किया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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