गया. कोरोना काल के दौरान 21800 ऑक्सीजन सिलिंडर बिना मांगपत्र के खर्च किये जाने व बिना अनुमति के 70 से अधिक सिलिंडर खरीदने के मामले में अब स्वास्थ्य विभाग ने संज्ञान लेते हुए आरोपित पर कार्रवाई का निर्देश दिया है. प्रभात खबर की खबर पर मुहर लगाते हुए 24 अक्टूबर 2024 को स्वास्थ्य विभाग की निदेशक प्रमुख डॉ दीपा रानी सिंह ने एएनएमएमसीएच के अधीक्षक को पत्र देकर आदेश दिया है कि ऑक्सीजन सिलिंडर मामले में आरोपित लिपिक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के दौरान प्रपत्र क के तहत की गयी जांच में दोषी पाया गया है. चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के मामले में बिहार लिपिकीय संवर्ग के नियुक्ति प्राधिकार अधीक्षक की होती है. इसके बाद कार्रवाई का अधिकार अधीक्षक का ही है. लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के पास इस मामले में प्रतिवेदन उपलब्ध कराना है. आरोपित लिपिक पर कार्रवाई करते हुए उसकी सूचना विभाग को दें. अधीक्षक डॉ केके सिन्हा ने बताया कि विभाग के आदेश के बाद आरोपित लिपिक को हर स्तर से अपना पक्ष को रखने का मौका दिया जायेगा. फिलहाल आरोपित लिपिक को अपना पक्ष रखने के लिए पत्र दिया गया है. इधर आरोपित लिपिक ने कुछ दिन पहले ही अधीक्षक को पत्र देकर साफ किया था कि स्टोर में उसकी जिम्मेदारी सिलिंडर की नहीं थी. इसके लिए वहां तैनात फार्मासिस्ट जिम्मेदार हैं. उसे गलत ढंग से इस मामले में फंसाया गया है.
कई तरह के लोगों की हो गयी इंट्री
यह मामला इतने दिनों से चल रहा है कि हर कोई बचने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे है. अपने बचने के लिए दूसरे की कमियों को उजागर करते रहे. इस दौरान कई तरह के मामले यहां से उजागर हो गये. कई मामलों में डीएम स्तर से जांच भी चल रही है. यहां की स्थिति खुलेआम होने के बाद कई आरटीआइ कार्यकर्ता भी कर्मचारियों के पक्ष विपक्ष में सक्रिय हो गये. तीन वर्षों से खुलासा के बाद भी सिर्फ अब तक जांच ही की जाने की बात होती रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है