प्रतिनिधि, मधेपुरा बीते एक दशक के दौरान चोर वैसे घरों को निशाना बना रहे हैं, जो घर बंद रहते हैं. पर्व के मौके पर अक्सर लोग परिवार के साथ सगे संबंधी या पैतृक गांव घर बंद कर चले जाते हैं. इस बार छठ पर्व को लेकर कई परिवार अपने घर बंद कर अपने घर (गांव) चले जायेंगे. चोर ऐसे घरों को निशाना बनाकर बड़ी आसानी से घटना को अंजाम देते रहे हैं. इस बार भी ऐसी आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. पिछले तीन से चार वर्ष के आंकड़ों को देखते तो छठ पर्व के दौरान चोरी की सर्वाधिक घटनाएं हुई है. कई लोगों को चोरी का पता चलता है जब वह घर लौटते हैं. लिहाजा सावधानी बरत कर त्योहार का आनंद रिश्तेदारों के साथ लिया जा सकता है. अगर आप अपने परिवार के साथ घर बंद कर बाहर जा रहे हैं तो सोने चांदी के जेवर और नकदी रुपये अपने साथ ले जाए. अमूमन बीते वर्षों में हुई चोरी की सभी घटनाओं में चोरों ने सोने -चांदी और नकद रुपये ही साथ ले गए हैं. ऐसे में जेवर और नगद साथ ले जाने पर चोरों की कोशिश नाकाम होगी. क्योंकि अन्य सामानों को चोर कभी- कभी हाथ भी नहीं लगाते हैं. ऐसा इसलिए कि घर में सामान उठाकर ले जाने में पकड़े जाने का डर बना रहता है. पुलिस कार्रवाई में भी इन सामानों का ठिकाना लगाना आसान नहीं होता है. यही वजह है कि बीते वर्षो में हुए अधिकांश चोरी की घटना के उद्भेदन में पुलिस सफल नहीं हो पायी है. पुलिस द्वारा कहा जाता है कि जब भी घर बंद कर शहर से बाहर जाएं अथवा स्थानीय थाना को भी इसकी सूचना जरूर दें, लेकिन प्रचलन में यह सलाह सरजर्मी तक नहीं उतर पाया है. जहां तक पुलिस की रात्रि गश्ती का सवाल है यह मुख्य सड़कों के चौक चौराहे तक ही सीमित रहती है. चोरों की तीसमारी के आगे पुलिस बेहाल नजर आ रही है.
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