बौंसी. मंदार क्षेत्र के ऐतिहासिक लखदीपा मंदिर के खंडहर में दीपावली की पूर्व संध्या पर बुधवार को सैकड़ो की संख्या में दीप जलाकर दीपावली मनायी गयी. व्यवसायी कल्याण समिति के अध्यक्ष राजीव कुमार सिंह की अगुवाई में बौंसी बाजार के कई व्यवसायी, वार्ड पार्षद सहित अन्य लोग पहुंचे और लखदीपा मंदिर के ताखों पर तिल तेल और सरसों तेल के दीए जलाने का कार्य किया. मौके पर जय मधुसूदन जय मंदार के उदघोष भी किये गये. दीपक की रोशनी से पूरा लखदीपा मंदिर का भग्नावशेष जगमग हो गया. जानकारी हो कि पिछले 5 वर्षों से मंदार से जुड़े आस्थावान श्रद्धालु लख दीपा में पहुंच कर दिवाली मनाते हैं.
विश्व का अनोखा इकलौता मंदिर जहां जलते थे लाखों दिए
धार्मिक ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण समुद्र मंथन की कहानी से जुड़े मंदराचल के गर्भ में कई अवशेष अभी पड़े हुए हैं. उन्हीं भग्नावशेष में लख दीपा मंदिर का भी अवशेष है. जहां दीपावली के अवसर पर लाखों दिए जलाने की परंपरा थी. क्षेत्र के इतिहासकार उदयेश रवि की माने तो यहां कभी एक घर से एक दिया जलाने का नियम था. बौंसी तब वालिशा नगरी थी. इसी बौंसी के लखदीपा मंदिर में दीप जलाने की परंपरा को जनमानस के द्वारा जीवंत करने के उद्देश्य से दीप जलाने की शुरुआत की गयी थी. इस मौके पर व्यवसाई कल्याण समिति के सचिव सुजीत कुमार झा, वार्ड पार्षद गुलशन सिंह, राकेश झा, शिवकुमार साह, रोनू सिंह, रामदास सहित अन्य मौजूद थे.वहीं भगवान मधुसूदन मंदिर में आज धूमधाम से दिवाली मनायी जायेगी. इसके लिए व्यापक तैयारी की गयी है. इसको लेकर व्यापक स्तर पर तैयारी की गयी है. मंदिर को सजाया संवारा गया है. रंगीन बल्बों से पूरे मंदिर को चकाचक किया गया है. परंपरा के अनुसार मंदार क्षेत्र के लोग भगवान मधुसूदन मंदिर में पहले दिवाली के दीए जलाते हैं इसके बाद उसी दिए को अपने घर लाकर फिर अपने घर में दिए जलाने का कार्य करते हैं. इस मौके पर मंदिर परिसर में भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. मंदिर परिसर दीपावली के दिन दीपक की रोशनी से जगमगा उठता है. नगर व प्रखंड क्षेत्र के निवासियों ने भी अपने-अपने घरों को आकर्षक तरीके से सजा संवार लिया है. बिजली की रंगीन लाइट लगायी गयी है. बौंसी बाजार के मारवाड़ी गली में को भी रंगीन लाइट से सजाया गया है.
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