Kali Puja: भागलपुर. शहर से तीन किमी पश्चिम एनएच-80 के किनारे जहांगीरा में मां काली के भव्य मंदिर में लोगों की काफी भीड़ जुटती है. मां यहां जागृत रूप में रहती है. स्थानीय लोगों ने बताया कि इस शक्तिपीठ के स्मरण मात्र से सारे कष्ट व दुख दूर हो जाते हैं. प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के अमावस्या को मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ता है. भक्त मनोकामना पूर्ण होने पर बलि व चढ़ावा चढ़ाते हैं. भागलपुर के अकबरनगर के छीट श्रीरामपुर में स्थापित बम काली की सात रूपों की पूजा की जाती है. बाढ़ की विभीषिका से बचाने के लिए लोग पूरी निष्ठा और विश्वास से करते हैं.
बाढ़ की विभीषिका से दिलायी थी मुक्ति
1976 में श्रीरामपुर गांव दियारा में बसा था. दियारा में भीषण बाढ़ और कटाव ने ऐसा कहर बरपाया कि लोगों अपना घर छोड़ पलायन कर गये. एक-एक कर घर गंगा में समा गये, लेकिन गांव में एकमात्र मंदिर बम काली की थी. बाढ़ व कटाव के दौरान गांव वालों ने बम काली की पिंडी को लेकर पलायन कर गये. अकबरनगर में यह गांव दो भागों में बंट बस गये. श्रीरामपुर गांव का एक भाग छींटश्रीरामपुर कोठी के नाम से बसा, जहां बम काली की पिंडी को एक झोपड़ी में स्थापित किया गया. पिंडी स्थापित कर लोग इसकी पूजा हर साल श्रद्धा व विधि-विधान से करने लगे. बाढ़ की विभीषिका से मुक्ति दिलाने मां काली की आराधना नियम निष्ठा से हर साल किया जाता है. बम काली को पाठा की बलि देने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है.
Also Read: सनातन धर्म के साक्त परंपरा में बलि का है खास महत्व, अनुष्ठान से पहले रखें इन बातों का ध्यान
पिंडी पर स्थापित होगी मां दाक्षिणेश्वरी काली
नवटोलिया गांव की मां दक्षिणेश्वरी काली की प्रतिमा गुरुवार को पिंडी पर स्थापित की जायेगी. कलाकार देवी की प्रतिमा में नयन अंकित कर अंतिम रूप देंगे. इसके बाद यहां तंत्र मार्गी व वैदिक दोनों विधि से देवी की पूजा होगी. फुलायस की आस लगाये भक्त दिनभर उपवास में रह कर गुरुवार की रात मां काली से फुलायस मांगेंगे. मधुरापुर बाजार, जीएन तटबंध स्थित मधुरापुर वाम काली, बीरबन्ना काली मंदिर व भ्रमरपुर गांव में काली मंदिर में गुरुवार की रात मां काली की प्रतिमा स्थापित की जायेगी. मेला की तैयारी पूरी कर ली गयी है.