Muzaffarpur News: जिले के ब्रह्मपुरा इलाके में प्रसिद्ध और प्राचीन लक्ष्मी-गणेश का मंदिर है। दिवाली के अवसर पर यहां मेला लगता है और हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं। दूर-दराज से भी लोग इस मंदिर में अपनी मुराद लेकर आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना साल 1921 में हुई थी। इस साल जिले में बड़ी महामारी आई थी, तब बीमारी से निजात दिलाने के लिए कुछ साधु लोग पहुंचे थे। उनलोगों ने यहां लक्ष्मी-गणेश की मूर्ती स्थापित करने की सलाह दी। साधुओं के सलाह पर यहां के लोगों ने माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ती की पूजा करनी शुरू की। फिर इसका प्रभाव पूरे समाज पर हुआ और जल्द ही जिले को महामारी से निजात मिल गया। इसके बाद से ही यहां भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा शुरू हुई और धीरे-धीरे मंदिर की ख्याति बढ़ती चली गई। आज इस मंदिर को 123 साल पूरे हो गए हैं।
3 क्विंटल के महाप्रसाद का भोग
इस मंदिर में धनतेरस के दिन से ही लोग दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं। दिवाली पर पूरी रात दर्शन-पूजन होता है। इस दिन यहां विशेष पूजा और महाप्रसाद का वितरण होता है। हर साल इस मंदिर में माता लक्ष्मी को बड़े लड्डू का भोग लगाया जाता है। इस साल यहां 3 क्विंटल का महा प्रसाद भोग लगेगा। माता लक्ष्मी और भगवान गणेश के दर्शन के लिए मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों से लोग पहुंचते हैं। यहां विशेष महा श्रृंगार और महा आरती का भी आयोजन किया जाता है। भक्त की भीड़ को देखते हुए यहां बड़ी सी LED स्क्रीन लगाई जाती है ताकि लोग लाइव दर्शन कर सकें।