रविकांत पाठक, देव
पौराणिक सूर्य नगरी देव में पांच नवंबर से शुरू होने वाले चार दिवसीय कार्तिक छठ पूजा को लेकर देव में आस्था पर कमरों का किराया भारी पड़ रहा है. मकान मालिकों द्वारा श्रद्धालुओं से एक कमरे का किराया 10 से 15 हजार रुपये वसूले जा रहे हैं. एक बात चर्चा में है कि किसी दूसरे प्रदेश के एक श्रद्धालु को 25 हजार रुपये चुकाने पड़े. पिछले वर्ष तक यह किराया पांच से आठ हजार रुपये था. बड़ी बात यह है कि अब किराये का एक कमरा भी खाली नहीं है. ऐसे में श्रद्धालु जुगाड़ की व्यवस्था बना रहे है. छठव्रतियों के मन में छठ के दौरान देव में प्रवास का इतना महत्व है कि इस बार एक कमरे का चार दिनों का किराया 10 से 15 हजार रुपये तक पहुंच गया है. वैसे भी अधिकतर श्रद्धालुओं ने दो से तीन माह पहले ही कमरे की बुकिंग करा ली थी. आश्चर्य की बात तो यह है कि कमरों का किराया बढ़ने के बावजूद प्रत्येक वर्ष व्रतियों की भीड़ बढ़ती जा रही है.बगल के गांवों में व्यवस्था बनाने में लगे हैं श्रद्धालु
गुरुवार को प्रभात खबर की टीम ने पड़ताल की तो पता चला कि किराया पर कमरा ही नहीं मिल रहा है. श्रद्धालु कमरों के लिए भटक रहे है. नहीं मिलने की स्थिति में श्रद्धालु बगल के गांवों में व्यवस्था बनाने में लगे हैं. भवानीपुर, सुदी बिगहा, सरब बिगहा, हर कीर्तन बिगहा, चांदपुर, एरकी, कुरका, पतालगंगा, दत्तु बिगहा समेत अन्य गांवों में श्रद्धालु ठहर कर व्रत का अनुष्ठान करेंगे. देव के सीता लाल गली, मल्लाह टोली, जंगी मुहल्ला, नया बाजार, आनंदी बाग, दीवान बिगहा, बरई बिगहा, सोती मुहल्ला व देव गोदाम पर कमरों का किराया आसमान छू रहा है. जिला प्रशासन द्वारा मकान मालिकों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं किये जाने से कमरों का किराया प्रत्येक वर्ष बढ़ता जा रहा है. ज्ञात हो कि मेला की बैठक में स्थानीय लोगों द्वारा इस मुद्दे को उठाया जाता रहा है.कोलकाता के श्रद्धालु को एक कमरे के लिए चुकाने पड़े 20 हजार
कोलकाता से पहुंचे सुरेंद्र प्रसाद ने बताया कि सूर्य कुंड की गली में वे शौचालय युक्त दो कमरा 20 हजार रुपये में लिए हैं. मकान मालिक श्रद्धालुओं से मनमाना किराया वसूल रहे हैं. प्रशासन ने श्रद्धालुओं को ठहरने के लिए कई जगहों पर पंडाल लगाया जाता हैं. यह देश में एकमात्र ऐसे ठहराव की व्यवस्था है, जहां छठव्रती के स्वजन खुद आकर या अपने किसी स्थानीय नाते-रिश्तेदार के माध्यम से आरक्षित कराते हैं. आनलाइन बुकिंग की व्यवस्था नहीं है. घर-घर होटल बन जाते हैं. कोई फिक्स रेट नहीं. शुल्क की कोई पावती नहीं. कमरे, शौचालय व पेयजल की व्यवस्था के अनुसार मोलभाव करिये और चार दिनों के लिए कमरा आपका. भोजन की व्यवस्था आपको खुद करनी होती है. न्यूनतम 10 हजार में एक कमरा आरक्षित किया गया है. इस बार झारखंड, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, छतीसगढ़, महाराष्ट्र समेत देश के अन्य राज्यों से व्रती आयेंगे.धर्मशाला बना बीएमपी का ठिकाना
छठव्रतियों के लिए 14 साल पहले पर्यटन विभाग द्वारा देव में विजयदास धर्मशाला का जीर्णोद्धार कराया था. परंतु क्षेत्र नक्सलग्रस्त होने के कारण कभी भी यहां छठ के मौके पर व्रती नहीं ठहरे. 14 साल से यह धर्मशाला अर्द्धसैनिक बल का ठिकाना बना हुआ था. अब बीएमपी वाले रहते हैं. अब क्षेत्र के नक्सलमुक्त होने के बाद धर्मशाला को खाली कर छठव्रतियों व देव मंदिर का दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराने की मांग उठने लगी है. भीड़ होने के कारण लोगों को सुविधा के अनुसार जगह नहीं मिल पाती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है