संवाददाता, कोलकाता
राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को और बेहतर बनाने की कवायद के तहत पांच सरकारी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल्स में सेंट्रल रेफरल सिस्टम शुरू हो चुका है. यह नयी व्यवस्था शुक्रवार से कोलकाता मेडिकल कॉलेज, एसएसकेएम, एनआरएस और कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज में लागू हो गयी. साथ ही ब्लॉक स्तर के सरकारी अस्पतालों को भी ऑनलाइन कर दिया गया है. दिसंबर से शेष 23 मेडिकल कॉलेजों में नया सिस्टम लागू कर दिया जायेगा.
स्वास्थ्य भवन सूत्रों के अनुसार, जिलों के अस्पतालों को कोलकाता के पांच मेडिकल कॉलेजों से जोड़ा गया है. सेंट्रल रेफरल सिस्टम एक ऐसी व्यवस्था है, जिससे संबंधित विभाग का डॉक्टर आउटडोर में बैठे-बैठे यह समझ सकता हैं कि उसके विभाग में कितने बेड उपलब्ध हैं.
जिला या ब्लॉक स्तर के अस्पतालों को भी पता चल जायेगा कि किस मेडिकल कॉलेज में कितने बेड खाली हैं. इसके अनुसार ही मरीजों को रेफर किया जायेगा. ब्लॉक और जिला अस्पतालों को प्राथमिकता दी जायेगी. वहीं, रेफर किये जाने के दौरान ही इस सिस्टम में मरीज को एक प्रिस्क्रिप्शन दिया जायेगा, जिस पर बेड नंबर लिखा होगा. रेफर किये गये अस्पताल में इमरजेंसी विभाग के जरिए मरीज को भर्ती लिया जायेगा. इस नयी व्यवस्था से मरीज लाभान्वित होंगे. उन्हें परेशानी नहीं होगी और डॉक्टरों पर भी दबाव कम होगा.
गौरतलब है कि राज्य में सेंट्रल रेफरल सिस्टम बतौर पायलट प्रोजेक्ट अक्टूबर में शुरू किया गया था. सोनारपुर ग्रामीण अस्पताल से एक मरीज को इस सिस्टम के जरिए एमआर बांगुर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस महीने से यह व्यवस्था पांच मेडिकल कॉलेजों में शुरू हो गयी है. हालांकि, उक्त अस्पतालों में अभी डिस्प्ले बोर्ड नहीं लगा है. नववर्ष से पहले यह काम पूरा हो जायेगा.
माना जा रहा है कि राज्य प्रशासन इस सिस्टम के जरिये एक तीर से दो शिकार करने की कोशिश कर रही है. इससे स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार भी होगा, साथ ही किसी प्रभावशाली व्यक्ति की मदद से सुविधाजनक तरीके से बेड पाने के तरीके या दलालराज का अंत होगा.
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