21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

राजनीति में रही है सरायकेला व ईचागढ़ राजघराने की हनक, राजा और युवराज बने विधायक

Jharkhand Elections: सरायकेला राजपरिवार के सदस्य बिहार-ओडिशा विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं. सरायकेला राजघराने के 3 राजा और ईचागढ़ के राजा और युवराज बने विधायक.

Jharkhand Elections|सरायकेला, शचिंद्र कुमार दाश : देश में रियासत और राजघराने का राजनीतिक इतिहास काफी पुराना है. आजादी के पूर्व राजतंत्र में सत्ता का संचालन करने वाले सरायकेला और ईचागढ़ (पातकुम) राजघराने के राजाओं का आजादी के बाद लोकतंत्र में भी खासा दबदबा रहा है. सरायकेला राजघराने से ताल्लुक रखने वाले तीन राजा एक-एक टर्म चुनाव में जीत दर्ज कर बिहार विधानसभा में पहुंचे थे. वहीं, ईचागढ़ (पातकुम) के राजा और युवराज भी बिहार विस में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. शचिंद्र कुमार दाश की रिपोर्ट.

चांडिल पूर्वी व ईचागढ़ के पहले विधायक चुने गये थे ईचागढ़ राजघराने के राजा व युवराज

ईचागढ़ के राजा और युवराज ने कई बार ईचागढ़ विस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है, तो कई बार उन्हें हार का भी सामना करना पड़ा है. 1952 में हुए पहले चुनाव में ईचागढ़ का क्षेत्र बड़ाबाजार-सह-चांडिल क्षेत्र में शामिल था. वहीं, 1957 में दूसरे चुनाव में इसका नाम चांडिल हो गया. 1957 में हुए विस चुनाव में ईचागढ़ के राजा शत्रुघ्न आदित्यदेव ने तत्कालीन चांडिल पूर्वी के नाम से गठित विस क्षेत्र से विधायक बने थे. वर्तमान का ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र 1967 में हुए चौथे विधानसभा चुनाव के दौरान अस्तित्व में आया. 1967 में जब ईचागढ़ विस क्षेत्र अस्तित्व में आया, तो ईचागढ़ राजघराने के युवराज प्रभात कुमार आदित्यदेव कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने.

Jharkhand Election Ichagarh Royal Family
ईचागढ़ का महल. फोटो : प्रभात खबर

युवराज की हार का बदला लेने मैदान में उतरे राजा

युवराज प्रभात कुमार आदित्यदेव के ईचागढ़ के विधायक चुने जाने के दो साल बाद 1969 में फिर चुनाव हुआ. कांग्रेस के खिलाफ बने माहौल में युवराज फॉरवर्ड ब्लॉक के उम्मीदवार घनश्याम महतो से चुनाव हार गये. करीब तीन साल बाद 1972 के चुनाव में युवराज की हार का बदला लेने उनके पिता ईचागढ़ के राजा शत्रुघ्न आदित्यदेव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी दंगल में उतरे. इस चुनाव में जनता अपने राजा के साथ खड़ी रही और उन्होंने फारवर्ड ब्लॉक के घनश्याम महतो को 10 हजार से अधिक वोटों से पराजित किया. वर्ष 1977 और 1980 के चुनाव में युवराज प्रभात कुमार आदित्यदेव को फिर पराजय का सामना करना पड़ा. वर्ष 1985 में हुए चुनाव में युवराज प्रभात कुमार आदित्यदेव ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कद्दावर नेता निर्मल महतो को पराजित किया था.

Ichagarh Royal Family In Politics
राजनीति में रही है सरायकेला व ईचागढ़ राजघराने की हनक, राजा और युवराज बने विधायक 3

1990 के बाद चुनाव मैदान में नहीं उतरा राजघराने का कोई सदस्य. युवराज प्रभात कुमार आदित्यदेव 1990 में चुनाव लड़े, लेकिन झारखंड आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले निर्मल महतो की हत्या के बाद उनके भाई सुधीर महतो ने झामुमो प्रत्याशी के रूप में युवराज को 26 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया. चुनाव में पराजित होने के बाद राजघराने का कोई सदस्य फिर मैदान में नहीं उतरा.

ओडिशा के सीएम रहे हैं सरायकेला राजघराने से ताल्लुक रखने वाले आरएन सिंहदेव

सरायकेला राजा आदित्य प्रताप सिंहदेव के साथ उनके दो पुत्र और पुत्री भी विधायक रहे हैं. सरायकेला राजा आदित्य प्रताप सिंहदेव के बड़े पुत्र नृपेंद्र नारयण सिंहदेव 1962 में सरायकेला से विधायक बने. जबकि उनके दूसरे पुत्र आरएन सिंहदेव ओडिशा के मुख्यमंत्री और पूत्री रत्नप्रभा देवी ओडिशा में दो बार विधायक रही हैं. सरायकेला राजघराने से ही ताल्लुक रखने वाले राजकुमार राजेंद्र नारायण सिंहदेव ओडिशा विस में विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक का सफर पूरा कर चुके हैं.

झारखंड विधानसभा चुनाव की ताजा खबरें यहां पढ़ें

राजा आदित्य प्रताप सिंहदेव के दूसरे पुत्र राजेंद्र नारायण सिंहदेव को राजतंत्र के दौरान बचपन में ही पाटणागढ़ राजपरिवार (ओडिशा) के महाराजा पृथ्वीराज सिंहदेव ने गोद ले लिया था. उनकी परवरिश पाटणागढ़ में ही हुई. 1957 में वह गणतंत्र परिषद प्रत्याशी के रूप में ओडिशा विधानसभा में विधायक बने. तब से लेकर 1974 के चुनाव तक राजेंद्र नारायण सिंहदेव सभी विधानसभा चुनाव लड़े और जीते. वे ओडिशा विस में विपक्ष के नेता रहे.

वर्ष 1967 में स्वतंत्र पार्टी का विधायक रहते हुए उन्होंने ओडिशा जन कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनायी और प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. श्री सिंहदेव 1971 तक ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे. वर्तमान में राजा आरएन सिंहदेव के परिवार के केवी सिंहदेव ओडिशा के उप मुख्यमंत्री हैं. सरायकेला राजा आदित्य प्रताप सिंहदेव की बड़ी पुत्री और ढेंकानाल (ओडिशा) की महारानी रत्न प्रभा देवी भी ओडिशा की विधायक रही हैं. बीजू पटनायक को हरा कर वह विधायक बनी थीं.

चुनावों में प्रभावी रहा है सरायकेला राजवंश

सरायकेला राजघराना राजनीतिक रूप से काफी सशक्त रहा है. आजादी के बाद हुए चुनावों में सरायकेला राजवंश प्रभावी रहा. वर्ष 1952 में हुए विस चुनाव में गणतंत्र परिषद के प्रत्याशी मिहिर कवि सरायकेला के पहले विधायक बने. इसके बाद 1957 में सरायकेला राजा आदित्य प्रताप सिंहदेव खुद चुनाव लड़े और विधायक चुने गये. उन्हें कुल वोट का 52 प्रतिशत से अधिक मत मिला था. 1962 में उनके राजघराने के टिकैत नृपेंद्र नारायण सिंहदेव सरायकेला से चुनाव लड़े और 2000 वोट के अंतर से जीत दर्ज की. 1972 के चुनाव में राजा सत्यभानु सिंहदेव कांग्रेस के टिकट पर सरायकेला से चुनाव लड़े थे.

1977 के चुनाव में आरक्षित हो गयी सरायकेला विस सीट

1952 से लेकर 1972 तक सरायकेला विस सीट अनारक्षित थी. इस दौरान सरायकेला राजघराने के तीन सदस्यों ने तीन बार सरायकेला विस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. 1972 में यहां के राजा सत्यभानु सिंहदेव चुनाव लड़े थे. 1977 के चुनाव के पूर्व हुए परिसीमन में सरायकेला सीट को सामान्य से हटा कर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया. इसके बाद सरायकेला राजपरिवार के सदस्यों ने वर्तमान झारखंड में कभी विस चुनाव नहीं लड़ा. सरायकेला राजघराने की वर्तमान रानी अरुणिमा सिंहदेव लगातार दो बार सरायकेला नगर पंचायत की अध्यक्ष रही हैं. रानी अरुणिमा वर्ष 2008 व 2013 में हुए नगर निकाय चुनाव में जीत दर्ज कर चुकी हैं.

Also Read

अमित शाह ने जारी किया भाजपा का संकल्प पत्र, कहा- ऐसा झारखंड बनाएंगे, किसी को नौकरी के लिए नहीं जाना होगा बाहर

झारखंड में लागू होगी समान नागरिक संहिता, आदिवासी रहेंगे उससे बाहर : अमित शाह

घाटशिला में गरजे अमित शाह- हेमंत सोरेन को हटाने के लिए नहीं, परिवर्तन के लिए चुनाव लड़ रही भाजपा

गोमिया विधानसभा सीट पर जीते अलग-अलग दलों के नेता, कांग्रेस और बीजेपी के टिकट पर भी लड़े माधव लाल सिंह

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें