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प्रभारी कुलपति के भरोसे मुंगेर विश्वविद्यालय, नीतिगत निर्णय में हो रही परेशानी

सीनेट व छात्र संघ चुनाव का मामला तो अब ठंडे बस्ते में जा चुका है.

मुंगेर

. वर्ष 2018 में नवसृजित मुंगेर विश्वविद्यालय दो माह से अधिक समय बीत जाने के बाद प्रभारी कुलपति के भरोसे चल रहा है. जिसके कारण कई कार्य प्रभावित हो रहे हैं. हलांकि एमयू को आने वाले समय में भले ही स्थायी कुलपति मिल जायेगा, लेकिन एमयू के स्थायी कुलपति के कंधों पर कई बड़ी जिम्मेदारियां होगी.

दो माह से अधिक समय बाद भी प्रभारी कुलपति के भरोसे एमयू

बता दें कि 19 अगस्त 2024 को पूर्व कुलपति प्रो. श्यामा राय का कार्यकाल समाप्त होने के बाद राजभवन द्वारा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी को एमयू के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार दिया गया. दो माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अबतक एमयू को अपना स्थायी कुलपति नहीं मिल पाया है. जबकि दो माह बाद भी अबतक प्रभारी कुलपति को एमयू से जुड़े नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार राजभवन से नहीं मिल पाया है. जिसके कारण लगातार विश्वविद्यालय के लिये ही परेशानी बढ़ती जा रही है.

कई कार्य पड़े हैं लंबित

एक ओर जहां एमयू का संचालन दो माह से अधिक समय बाद भी प्रभारी कुलपति के भरोसे हो रहा है. वहीं राजभवन से भी अबतक एमयू के कई मामलों को स्वीकृति नहीं मिल पायी है, कुल मिलाकर कहा जाये तो एमयू में दो माह से केवल पुराने और पेडिंग कार्य ही चल रहे हैं. बता दें कि जमालपुर कॉलेज, जमालपुर के लिये जहां अबतक प्रभारी प्राचार्य नियुक्त करने की स्वीकृति राजभवन से नहीं मिली है. वहीं सीनेट व छात्र संघ चुनाव का मामला तो अब ठंडे बस्ते में जा चुका है. जबकि सालों से अपने नियुक्ति की आस में बैठे अनुकंपा आश्रितों के लिये अब आर्थिक तंगी के बीच स्थायी कुलपति का इंतजार या राजभवन से स्वीकृति का इंतजार लंबा होता जा रहा है. जबकि अपने ही साथियों की प्रोन्नति के बाद अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शिक्षक अपने प्रमोशन के इंतजार में बैठे हैं.

स्थायी कुलपति के कंधों पर होगी कई बड़ी जिम्मेदारी

एमयू को आने वाले समय में स्थायी कुलपति को मिल जायेगा, लेकिन एमयू में जो भी नये स्थायी कुलपति आयेंगे. उनके कंधों पर कई बड़ी जिम्मेदारियां होगी. जिसमें सबसे बड़ी जिम्मेदारी तो विश्वविद्यालय की मर्यादा को बनाये रखना होगा, क्योंकि पूर्व कुलपति प्रो. श्यामा राय के कार्यकाल के दौरान एमयू में कई बार विश्वविद्यालय के मर्यादाओं का उल्लंधन खुलेआम होता रहा. इसके अतिरिक्त स्थायी कुलपति के कंधों पर 3.70 करोड़ रूपये का एडवांस सेटलमेंट को पूरा करने की भी जिम्मेदारी होगी.

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