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कनाडा में उत्पात

Khalistani Attack On Hindu Temple : दुनिया में सबसे बड़ी प्रवासी संख्या भारतीय मूल के लोगों की है. वे जिस भी देश में हैं, वहां की प्रगति एवं समृद्धि में उनका सराहनीय योगदान है. इस कारण उन्हें बड़े सम्मान से देखा जाता है.

Khalistani Attack On Hindu Temple : कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में खालिस्तान समर्थक उपद्रवियों द्वारा एक हिंदू मंदिर और वहां मौजूद श्रद्धालुओं पर हमले की जितनी निंदा की जाए, कम है. इस घटना ने उन आशंकाओं को बढ़ा दिया है कि कनाडा सरकार के रवैये से वहां के भारतवंशी समुदाय और काम कर रहे या पढ़ाई कर रहे लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है. प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और उनकी सरकार एक ओर आतंकवादियों, अलगाववादियों और अपराधियों को संरक्षण प्रदान कर रही है, तो दूसरी ओर भारतीय उच्चायोग, एजेंसियों और सरकार पर निराधार आरोप लगा रही है.

दुनिया में सबसे बड़ी प्रवासी संख्या भारतीय मूल के लोगों की है. वे जिस भी देश में हैं, वहां की प्रगति एवं समृद्धि में उनका सराहनीय योगदान है. इस कारण उन्हें बड़े सम्मान से देखा जाता है. लेकिन हाल के वर्षों में कुछ पश्चिमी देशों में भारतवंशियों और उनके धार्मिक स्थलों पर हमलों की संख्या बढ़ी है. अनेक स्थानों पर भारतीय राजनयिक कार्यालयों को भी निशाना बनाया गया है. इस तरह की अधिकतर घटनाओं में खालिस्तान समर्थक गिरोहों का हाथ रहा है. ऐसी घटनाओं से प्रवासी समुदाय के भीतर विभाजन की आशंका बढ़ती जा रही है.

विशेषज्ञ कनाडा समेत विभिन्न पश्चिमी देशों की सरकारों को आगाह करते रहे हैं कि आतंकवादियों, अलगाववादियों और अपराधियों को शरण एवं संरक्षण देना उन देशों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. हालांकि प्रधानमंत्री ट्रूडो समेत कई कनाडाई नेताओं ने मंदिर पर हमले की निंदा की है और कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है, पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि ऐसी घटना को रोकने में पुलिस एवं स्थानीय प्रशासन विफल क्यों रहा है. कनाडा कथित खुफिया जानकारियों के हवाले से भारत सरकार और राजनयिकों पर कनाडाई नागरिकों पर हमले का आरोप लगाता रहा है. देश के भीतर हो रहीं ऐसी घटनाओं से तो यही साबित होता है कि कनाडा का खुफिया तंत्र सक्षम नहीं है. कनाडा भारतीय उच्चायोग के कर्मियों की जासूसी भी कर रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन भी है और उन कर्मियों एवं उनके परिजनों के लिए खतरनाक भी.

कनाडा हो या कोई अन्य देश, उसे अपने सभी नागरिकों के जीवन और अधिकारों की सुनिश्चित करनी चाहिए. साथ ही, ऐसे संगठनों और गिरोहों पर रोक भी लगानी चाहिए, जो उनकी धरती से भारत विरोधी अभियान चला रहे हैं तथा देश को अस्थिर करने का षड्यंत्र कर रहे हैं. ट्रूडो सरकार को भारत सरकार और राजनयिकों पर निराधार एवं अनर्गल आरोप लगाने से परहेज करना चाहिए. दोनों देशों के परस्पर संबंधों को बहुत नुकसान हो चुका है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने उचित ही कहा है कि अगर संबंध इसी तरह बिगड़ते रहे, तो उसका सारा दोष कनाडा पर होगा. आशा है कि अपने रवैये में सुधार करते हुए कनाडा सरकार उपद्रवियों को दंडित करेगी.

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