नहाय-खाय से एक दिन पहले सोमवार को बरारी पुल घाट पर गंगा स्नान करने के लिए छठ व्रतियों का सैलाब उमड़ा. भागलपुर के साथ ही अररिया, पूर्णिया, सुपौल, मधेपुरा, बांका, गोड्डा समेतविभिन्न जिलों के श्रद्धालु पहुंचे थे. बावजूद इसके घाटों पर अव्यवस्था दिखी. खासकर श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर स्थानीय प्रशासन बेपरवाह रहे.
घाटों पर दलदल से बचाव को लेकर बैरिकेडिंग व लाल निशान नहीं
घाट रोड व घाट पर सुरक्षाबलों का था अभाव
जिस तरह से बरारी पुल घाट पर छठव्रतियों का सैलाब उमड़ा. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल की कमी दिखी. जहां-तहां बाइक व फोर व्हीलर लेकर घाट रोड में प्रवेश कर रहे थे. इससे पैदल श्रद्धालुओं को आने-जाने में दुर्घटना का भय बना हुआ था. घाट समीप कुछेक पुलिसकर्मी कार्यरत दिखे, जो कि सक्रिय नहीं थे.चेंजिंग रूम की कमी
हनुमान घाट, एसएम कॉलेज घाट, मुसहरी घाट आदि में कपड़ा बदलने के लिए कोई घर नहीं बनाया गया. इससे महिलाओं को कपड़ा बदलने में दिक्कत हुई. बरारी पुल घाट पर एक-दो घर बनाया गया था, जो कि पूरी तरह से असुरक्षित था. हजारों श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त नहीं था. शौचालय की भी सुविधा नहीं थी, जिससे कई लोग घाट किनारे शौच करते दिखे. तीन स्मार्ट शौचालय बनाया गया है, जो बंद पड़ा मिला.————-
गोताखोर की दिखी गैरमौजूदगीबरारी पुल घाट पर छठव्रतियों की भीड़ थी. बावजूद इसके सरकारी स्तर पर गोताखोर का अभाव दिखा. खासकर एसडीआरएफ की टीम प्राय: यहां रहती थी. इस बार सक्रिय नहीं दिखी. बरारी पुल घाट के अलावा अन्य घाट हनुमान घाट, खिरनी घाट, एसएम कॉलेज घाट, बूढ़ानाथ घाट पर भी गोताखोर नहीं दिखे.
————–दलदली व खतरनाक घाटों का नहीं लगाया बैनर
बरारी पुल घाट हो या अन्य कोई घाट व चौक-चौराहा कहीं भी खतरनाक घाट व दलदली वाले घाट की जानकारी देने के लिए बैनर नहीं लगाये गये हैं. जिला प्रशासन की ओर से खतरनाक घाटों की सोमवार तक जारी नहीं की गयी. ऐसे में लोगों को हमेशा डूबने और दलदली में फंसने का डर बना रहा. इसके अलावा सफाई व्यवस्था अब तक सुदृढ़ नहीं की गयी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है