Chhath Puja 2024: हिमांशु देव, पटना. छठ लोक संगीत और कला को भी समृद्ध करता है. इस पर्व पर बनाये गये गीतों ने कई गायकों को पहचान दिलायी है. गीतों के माध्यम से छठ के महत्व को काफी गहराई से व्यक्त किया जाता है. छपरा निवासी व भोजपुरी गायिका देवी बताती हैं कि छठी मैया के आशीर्वाद से हर साल घाट पर किसी न किसी गीत-संगीत के कार्यक्रम में रहती हूं और श्रोताओं के बीच इस पर्व को मनाती हूं. वहीं, स्वाति मिश्रा इस पर्व को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा मानते हुए कहती हैं कि चाहे दुनिया के किसी कोने में रहूं, छठ के लिए हमेशा अपने घर लौट आती हूं. स्वाति ने भी व्रतियों के भाव को दर्शाते हुए कई गीत प्रस्तुत किये हैं, जो इस पर्व की महिमा को निखारते हैं.
देवी की नजर में छठ का सौंदर्य पक्ष भी निराला
भोजपुरी गायिका देवी बताती हैं कि हर साल छठ के दौरान मैं किसी न किसी कार्यक्रम में रहती हूं. मेरा परिवार इतना बड़ा हो गया है कि छठ को मिस नहीं करती. अपने चाहने वाले लोगों के साथ इस पर्व को सेलिब्रेट कर बहुत अच्छा लगता है. छठ आते ही सबसे पहले इससे जुड़े गीतों का माहौल आता है. इन गीतों के धुन को सुन मन प्रफुल्लित हो जाता है, खासकर ‘केरवा जे फरेला घवद से..’ और ‘कांच ही बांस के बहंगिया..’. इसका एक और पहलू साफ-सफाई है. छठ में जब व्रती गुजरते हैं तो दृश्य अद्भुत लगता है. साथ ही, महिलाएं गाते हुए घाट पर जाती हैं.
ऐसी सुंदरता कहीं और नहीं देखने को मिलेगी
गायिका देवी कहती हैं कि अब तो साउंड सिस्टम में भी गीत बजते हुए जाते हैं. साथ ही कोशी भरने के समय जो भक्ति भाव की सुंदर अभिव्यक्ति होती है, वह तो देखते बनता है. ऐसी सुंदरता कहीं और नहीं देखने को मिलेगी. मैं इतना कहना चाहूंगी कि छठ एक सुंदर भाव तो है ही, पर इसका सौंदर्य पक्ष भी निराला है. मैंने इस साल छठ के कई गीतों को रिलीज किया है. जिसमें ‘सइंया के सर्विस दे दीं..’, ‘सुपवा..’, ‘हो गईल अरघ के बेरा..’,‘छठिया भूख ए बहिनी..’,‘उर्जा का वरदान..’, आदि हैं.
स्वाति मिश्रा की बीमार मां कर रहीं छठ
स्वाति मिश्रा कहती हैं कि दुनिया के किसी भी कोने में रहूं, छठ के समय हमेशा गांव पहुंच जाती हूं. जब छठ के गाने बजने लगते हैं, तो ऐसा लगता है कि घर बुला रहा है. वह कहती हैं कि बचपन से ही शारदा सिन्हा के गीत सुने हैं, और अब उनके खुद के गाने भी धूम मचा रहे हैं. पिछले साल, मरीन ड्राइव पर उनके गीतों पर काफी रील्स वायरल हुए थे और इस साल संयोग से संध्या अर्घ के दिन शो भी वहीं है. वह कहती हैं कि घर में मम्मी छठ करती हैं. लेकिन, उन पर हमेशा सफाई और हाइजिन का ध्यान रखने का प्रेशर होता है कि बिना स्नान किये न खा लें, कहीं कुछ गंदगी न कर दें, कहीं किसी चीज में पैर न लग जाये.वह बताती हैं कि घर में गेहूं धुलाने, सुखाने और कौआ भगाने का काम भी वह अपने परिवार के साथ करती हैं, क्योंकि छठ के सभी काम में भाग लेने से पुण्य मिलता है.
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यह आशीर्वाद सबको नहीं मिलता
घाट सजाना, घाट साफ करना आदि में भाई व पापा मिलकर काम करते हैं. साल 2023 में भी छठ घाट पर थीं, तो काफी भीड़ हो रही थी. लोग तस्वीर लेने आते हैं. यह छठी मैया का ही आशीर्वाद है कि लोग इतना प्यार कर रहे हैं. यह आशीर्वाद सबको नहीं मिलता है. उन्होंने बताया मेरी मां बीमार हैं, तो मैंने कहा कि इस बार तुम रहने दो, कोई और छठ कर लेगा. लेकिन, वह बोली कि ‘एक बार छठ उठा ले ले बानी त.. मरते दम तक ना छूटी..’. यह भावना है व्रतियों की कि कुछ भी हो जाए, लेकिन छठ करना ही करना है. इस पर ‘छठ करब हम जरूर..’ गीत को गाया है. रिलीज भी हो गया है. लोग काफी प्यार भी दे रहे हैं.