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सब्सिडी में बड़ी कमी

Subsidy : देश में स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता 82 गीगावाट से अधिक हो चुकी है. भारत सरकार ने 2030 तक बिजली उत्पादन क्षमता में गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों यानी स्वच्छ ऊर्जा के योगदान को 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

Subsidy : स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन एवं उपभोग बढ़ाने तथा जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाने के प्रयास में तेल और गैस क्षेत्र को दिये जाने वाले अनुदान में बड़ी कटौती हुई है. एशियन डेवलपमेंट बैंक की रिपोर्ट के आधार पर नवीन ऊर्जा मंत्रालय द्वारा प्रकाशित पत्र के अनुसार, 2013 और 2023 के बीच अनुदान में 85 प्रतिशत की भारी कमी आयी है. वर्ष 2013 में तेल और गैस क्षेत्र को 25 अरब डॉलर का अनुदान दिया गया था. वर्ष 2023 में यह राशि महज 3.5 अरब डॉलर रही. उल्लेखनीय है कि अनुदान में कटौती का यह सिलसिला 2010 में शुरू हुआ था. तब से डीजल और पेट्रोल की सब्सिडी में लगातार कटौती हो रही है तथा करों को बढ़ाया गया है.

इस बचत से स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं, इलेक्ट्रिक वाहनों और क्रिटिकल इलेक्ट्रिसिटी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए अधिक धन जुटा पाना संभव हुआ है. टैक्स बढ़ाने से राजस्व भी बढ़ा है. साल 2014 से 2017 तक पेट्रोल और डीजल पर आबकारी शुल्क बढ़ाने से भी राजस्व संग्रहण में वृद्धि आयी. उस अंतराल में वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें कम रही थीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर बड़ी संख्या में लोगों ने रसोई गैस पर मिलने वाले अनुदान को छोड़ दिया था. उससे जो बचत हुई, उसे ग्रामीण क्षेत्र में निर्धन एवं निम्न आय परिवारों को अनुदान के साथ रसोई गैस मुहैया कराया गया है. इससे बड़ी संख्या में महिलाओं को धुएं से होने वाले नुकसान से छुटकारा मिला. इससे सामाजिक कल्याण और पर्यावरण संरक्षण के दोहरे लक्ष्यों को पाना संभव हो सका. स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में उत्पादन क्षमता की बात करें, तो भारत वैश्विक स्तर पर चौथे, पवन ऊर्जा के क्षेत्र में चौथे तथा सौर ऊर्जा के मामले में पांचवें स्थान पर है.

देश में स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता 82 गीगावाट से अधिक हो चुकी है. भारत सरकार ने 2030 तक बिजली उत्पादन क्षमता में गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों यानी स्वच्छ ऊर्जा के योगदान को 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन का लक्ष्य भी है, जिससे एक अरब टन तक उत्सर्जन में कमी आ सकती है. यह भी उत्साहजनक है कि लगभग छह दशकों में पहली बार ऐसा हुआ है कि बिजली उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से नीचे आयी है. धरती के तापमान को नियंत्रित रखने तथा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए उत्सर्जन घटाना और इस सदी के अंत तक उसे शून्य के स्तर पर लाना बहुत आवश्यक है. स्वच्छ ऊर्जा में बढ़ोतरी के साथ-साथ इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं. साल 2020-21 की तुलना में 2021-22 में इस क्षेत्र में आठ गुना अधिक रोजगार सृजन हुआ था.

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