प्रतिनिधि,मधेपुरा
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नई स्थानांतरण नीति से सिर्फ राज्य के बाहरी शिक्षकों को ही लाभ होगा. क्योंकि उन्हें अपने राज्य के सीमा क्षेत्र के नजदीक पदस्थापित होने का मौका मिलेगा, लेकिन बिहार के निवासी शिक्षक न सिर्फ अपने गृह अनुमंडल से बल्कि गृह जिले से भी बाहर स्थानांतरित हो जायेंगे. सरकार को महिला शिक्षिकाओं के समान ही पुरुष शिक्षकों को भी अपने गृह पंचायत को छोड़कर पड़ोस के पंचायतों में पदस्थापन की नीति लानी चाहिए. ताकि सभी शिक्षक चिंता मुक्त होकर विद्यालय में बेहतर ढंग से गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान कर सकें. 10 पंचायतों का विकल्प लेने से अधिकांश शिक्षिकाएं जो अपने नैहर या ससुराल के नजदीक के विद्यालय में कार्यरत हैं, वे भी अब घर – परिवार से दूर हो जायेंगी. असाध्य रोग से पीड़ित शिक्षकों को भी मनचाहा जगह मिलने की गारंटी नहीं है. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सरकार की मंशा को भांप कर अधिकांश सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षक स्थानांतरण नहीं चाहते हैं तथा नियोजित शिक्षक की सेवा में ही बने रहना चाहते हैं,लेकिन सरकार सभी शिक्षकों को बल पूर्वक हटाने की नीति लाई है. यह अलोकतांत्रिक एवं असंवैधानिक कार्रवाई है.
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