20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Sharda Sinha Death: बहुत सरल और कोमल हृदय की थी गायिका शारदा सिन्हा, प्रारंभ में उन्हें नृत्य सीखने की थी इच्छा

Sharda Sinha Death: लोक गायिका शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं रही. मंगलवार की देर शाम दिल्ली एम्स में उन्होंने आखिरी सांस ली.

Sharda Sinha Death: शारदा सिन्हा जी को मैं अपने छात्र जीवन से लगभग 1970 से दुर्गापूजा के पंडालों में सुनता रहा था. हमलोग ज्यादातर लंगर टोली में सपरिवार उनके गीतों का आनंद लेने जाते थे. जगदंबा घर में दियरा बार अइली है’ पनिया के जहाज से पलटनिया बनि अहइ’ आदि गीत एवं छठ के गीतों में उनके कोकिल कंठ से सुनना सामने से सुनना, एक अजीब सी अनुभूति होती थी. वर्ष 1990 को मैं संगीत की परीक्षा लेने के लिए समस्तीपुर गया था. वहां पहली बार उनसे आमने-सामने मिलने का बात करने का सुअवसर मिला. बहुत सरल ह्दय, सरस ह्दय, कोमल ह्दय की गायिका थीं वे. लोग उनके लोक गीतों को ही अधिकतर सुने हैं. परंतु शास्त्रीय गायन सुनने का अवसर समस्तीपुर में मिला. उस समय प्रयाग संगीत समिति के परीक्षाओं में परीक्षा समाप्त होने पर रात में परीक्षकों के साथ संगीत गोष्ठी होती थी. उनका शास्त्रीय ज्ञान भी काबिले तारीफ है.

कलाकारों की बहुत कद्र करती थी गायिका शारदा सिन्हा

गोष्ठी में कोई दास जी और अजीत लाभ का गजल गायन भी हुआ था. शारदा जी ने कौन सा राग गाया था. यह तो याद नहीं चौंतीस वर्ष पहले की बात है. और भी अनेक गण्यमान्य लोग थे. सूरज कुमार तबले पर थे. 1990 के बाद पटना के दशहरा के प्रोग्रामों के अलावा बहुत से कार्यक्रमों में उनका गायन नहीं होता था. आजकल उनके सामान सुगम एवं लोक गायिकाओं का बहुत अभाव हो गया है. उनकी आदर्श मान कर सुगम एवं लोक गायिकाओं में सम्प्रति डॉ. नीतू कुमार नूतन उनके पद चिन्ह पर सम समान गायकी प्रस्तुत कर रही है. कई मोर्चों पर वे साथ में गायन प्रस्तुत कर चुकी है. कलाकारों की बहुत कद्र करती थी. अपने सुरों के बदौलत उन्हें पद्म विभूषण का सम्मान भी मिला. उन्होंने स्व. पं. सीताराम से भी उन्होंने शुरू शिष्य परंपरानुसार शास्त्री संगीत की तालिम ली थी.

Also Read: Sharda Sinha Death: नहीं रहीं गायिका शारदा सिन्हा, दिल्ली एम्स में ली आखिरी सांस

प्रारंभ में उन्हें नृत्य सीखने की इच्छा थी, परंतु नृत्य गुरु ने कहा कि तुम्हारी आवाज में जो कशिश थी, वह गायन में अद्भुत निखार लायेगा. वे मैथिली, मगही, बज्जिका, भोजपुरी सभी प्रकार की लोक संगीत गाती हैं. और उनकी गायकी में फूहड़पन नहीं है. वे मर्यादा पूर्व और पारंपरिक वेषभूषा में ही सर्वदा स्टेज पर बैठती है. उन्होंने लोक संगीत को एक नया आयाम दिया है. उनकी गायकी, उनके स्वभाव उनके चरित्र अनुकरणीय है. उन्होंने फर्श से अर्श तक का सफर अपनी आवाज की जादू के बदौलत तय किया है. समाज को उन्होंनेे अपनी जादूभरी आवाज से बहुत कुछ संदेश दिया है. कॉलेज में संगीत की प्रोफेसर रहते हुए पारिवारिक दायित्व निभाते हुए संगीत की अनवरत साधना किया है. मां सरस्वती की उन पर विशेष कृपा थी. हम उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना ईश्वर से करते हैं. -डा. ओम प्रकाश नारायण, शास्त्रीय गायक, प्राचार्य पटना इंस्टीट्यूट ऑफ म्यूजिक

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें