फलों के दामों में आया है उछाल, पर बाजारों की रौनक है बरकरार कोलकाता. महंगाई भले बढ़ी है, लेकिन लोक आस्था का महापर्व छठ इससे अछूता है. कह सकते हैं कि महंगाई पर आस्था भारी है. मंगलवार को नहाय-खाय के साथ महापर्व का शुभारंभ हो गया. इस दिन लौकी 100 रुपये पीस तक बिकी. साथ ही अन्य पूजन सामग्री लकड़ी, सूप, दउरा सहित फलों की जमकर खरीदारी हुई. विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष पूजन सामग्रियों की कीमतों में वृद्धि हुई है. फलों के दामों में भी उछाल है. पर बाजारों की रौनक बरकरार है. कोलकाता के बड़ाबाजार, खिदिरपुर बाजार, कोले मार्केट, बागड़ी मार्केट समेत तमाम बाजारों में ग्राहकों की भारी भीड़ रही. हावड़ा के बाजारों में भी यही आलम दिखा. दुकानदार अशोक दास ने बताया कि पिछले साल की तुलना में सूप-दउरे से लेकर तमाम फलों के दाम भी अधिक हैं. भारती प्रसाद नामक महिला ने बताया कि इस साल सामानों की कीमत काफी अधिक है. लेकिन छठ पूजा तो करनी ही है, दाम कुछ भी रहे. केले का छोटा इस बार घवद 400 से 500 रुपये में बिक रहा है. शोभा राजभर ने एक अन्य महिला ने बताया कि मंगलवार को एक लौकी 100 रुपये में मिली. महंगाई इतनी है कि कहिये नहीं. लेकिन छठ में कोई कमी नहीं कर सकते है. कल्पना साव ने बताया कि हर साल 15 से 20 किलो आटे का ठेकुआ बनाती थी. इस बार इसे आधा कर दिया है. पिछले साल आटा 28 रुपये किलो था, इस वर्ष 42 रुपये किलो पहुंच गया है. टीटागढ़ की इंदू देवी ने बताया कि छठ पूजा के लिए कम से कम दो से तीन हजार रुपये में पूरा सामग्री हो जाती है. इस बार उतने ही सामान के छह से आठ हजार रुपये लगे. महंगाई है, लेकिन क्या करें. छठि माई से बढ़ के महंगाई नइखे नू. संजना प्रसाद ने बताया कि छठ पूजा को लेकर एक अलग उत्साह रहता है. इस उमंग व उत्साह में हर महंगाई फीका लगता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है