Sharda Sinha: पटना. लोक गायिका शारदा सिन्हा के निधन पर भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) ने शोक व्यक्त किया है. इप्टा की राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष प्रसन्ना ने शोक संदेश जारी करते हुए कहा है कि बिहार की लोक संस्कृति के स्वर शारदा सिन्हा का निधन अपूरणीय क्षति है. इप्टा परिवार लोक संस्कृति की पहचान और लोकगीतों के माध्यम से आम आवाम के बीच बिहार की विशिष्ट पहचान बनाने वाली शारदा सिन्हा के निधन पर शोक व्यक्त करती है. उन्होंने कहा है कि शारदा सिन्हा का निधन लोक संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति है.
लोक संगीत में उनका योगदान अविस्मरणीय
जारी शोक संदेश में कहा गया है कि लोक संगीत में उनका योगदान अविस्मरणीय है. उन्होंने कभी भी लोक संगीत को सस्ते मनोरंजन का साधन नहीं बनाया. अपने स्वर को बाज़ार की अश्लीलता से काफी दूर रखा. लोक संगीत के क्षेत्र में शारदा सिन्हा ने अपनी पहचान को ना सिर्फ बनाए बल्कि नारी शक्ति का मिसाल बनने का गौरव भी हासिल किया. शारदा सिन्हा के निधन से इप्टा परिवार दुःखी और मर्माहत है. शारदा सिन्हा सिर्फ़ बिहार नहीं, लोक संगीत गीतों में रूचि रखने वाले देश दुनिया के करोड़ों लोगों के जहन में ज़िन्दा रहेंगी और अपने सुमधुर कोकिल स्वर के प्रेरणा की स्रोत बनी रहेंगी.
Also Read: Bihar Land Survey: नाकाफी रही ट्रेनिंग, सरकार सर्वे कर्मियों को अब देगी कैथी लिपि की किताब
लोक परंपरा को सहेजने का किया काम
विंध्यवासिनी देवी के बाद लोक संगीत की जिस परंपरा को शारदा सिन्हा ने पाला पोसा उसे संरक्षित और विकसित बनाए रखना चुनौती होगी. शारदा सिन्हा ने अपने पति के निधन के कुछ ही दिन बाद इस दुनिया को अलविदा कह दिया. 22 सितंबर को उनके पति का निधन हुआ था. लोक गायिका बीते सात वर्षों से मल्टीपल मायलोमा (एक तरह का ब्लड कैंसर) से जूझ रही थीं. पद्मश्री, पद्म भूषण से सम्मानित 72 वर्षीय शारदा सिन्हा मैथिली और भोजपुरी गानों के लिए जानी जाती हैं. उनके चर्चित गानों में ‘विवाह गीत’ और ‘छठ गीत’ शामिल हैं.