21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पैसे के लिए शारदा सिन्हा ने नहीं किया कभी समझौता, चाहे सामने गुलशन कुमार हों या अनुराग कश्यप

Sharda Sinha : क्या आप शारदा सिन्हा को सिर्फ छठ गीतों की गायिका के रूप में जानते हैं? अगर हां, तो यह आलेख पढ़ना आपके लिए बहुत जरूरी है. शारदा सिन्हा बिहार की लोकगायिका थीं और उन्होंने गीत संस्कृति को जीया. एक संगीत शिक्षिका के रूप में उन्होंने लोकगीतों को संरक्षित और समृद्ध करने का भी काम किया, लेकिन उन्होंने लोकप्रियता के लिए कोई समझौता नहीं किया.

Sharda Sinha : जगदंबा घर में दियरा बार अनि हे, जगतारण घर में दियरा बार अनि हे. बाबा बैद्यनाथ हम आयल छी भिखरिया. इस तरह के गीतों से भजन आइकन बनीं शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं हैं. शारदा सिन्हा ने छठ गीतों को अपनी आवाज देकर उनका इतना विस्तार किया कि वह गीत बिहार से निकलकर ना सिर्फ देश के विभिन्न इलाकों तक पहुंचा बल्कि विदेशों में भी उनकी धूम मची. शारदा सिन्हा एक तरह से छठ गीतों की पर्याय बन गई, हालांकि शारदा सिन्हा का कला प्रेम और व्यक्तित्व इससे काफी बड़ा है.

शारदा सिन्हा ने लोकप्रिता के लिए समझौता नहीं किया

शारदा सिन्हा ने जिस वक्त गीत गाना शुरू किया उस दौर में कई तरह के प्रयोग किए जा रहे थे और भोजपुरी गीतों पर अश्लीलता फैलाने का आरोप भी लग रहा था, लेकिन उस दौर में भी शारदा सिन्हा ने कभी कोई समझौता नहीं किया. वो हमेशा मर्यादित गीत और संगीत के साथ ही जुड़ी रहीं. वो गीतों को जीती थीं, उन्होंने बिहारी लोकगीतों को नई पहचान दी और एक संगीत शिक्षिका के रूप में उनका संरक्षण भी किया. भाषा को लेकर भी शारदा सिन्हा बहुत सजग रहती थीं और यह कोशिश करती थीं कि उन शब्दों को जीवित किया जाए जो आजकल की बोलचाल से गायब होते जा रहे हैं. एक संगीत शिक्षिका के रूप में उन्होंने लोक गीतों को समृद्ध किया और मैथिली, भोजपुरी, अंगिका और मगही के गीतों को एक तरह से यूनिफाॅर्मिटी भी दी. 

आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए भी गाती थीं शारदा सिन्हा

शारदा सिन्हा दरभंगा रेडियो स्टेशन की कलाकार थीं. उन्होंने दूरदर्शन पर भी कई कार्यक्रम किए थे. शारदा सिन्हा के करीबी रहे पत्रकार निराला बताते हैं कि वे लखनऊ गई थीं आकाशवाणी का ऑडिशन देने तो उनका चयन नहीं हुआ था. साथ में उनके पति भी थे, चयन नहीं होने से शारदा सिन्हा दुखी थीं और उन्होंने अपने पति बीके सिन्हा से कहा कि जब सलेक्शन ही नहीं हुआ तो मैं अपना गला खराब कर लेती हूं और उन्होंने खूब आइसक्रीम खाई थी, लेकिन दूसरे दिन उनके पति उन्हें दूसरे दिन भी ऑडिशन के लिए लेकर गए और उनका चयन हो गया. उनका जो पहला गाना रिकाॅर्ड हुआ वह एक विवाह गीत था, जो द्वार छेकाए के वक्त गाया जाता है. 

Also Read :Donald Trump : डोनाल्ड ट्रंप ने मारी बाजी बनेंगे अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति, जानिए ‘असंभव को संभव’ कैसे बनाया

एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें

गुलशन कुमार के लिए गाया छठ गीत

शारदा सिन्हा ने गुलशन कुमार की कंपनी टी सीरीज के लिए खूब छठ गीत गाए. इससे छठ गीतों का खूब प्रसार हुआ और वे देश-विदेश तक पहुंचे. लेकिन शारदा सिन्हा ने कभी भी अपनी शैली में कोई बदलाव नहीं किया. वे यह कोशिश नहीं करती थीं कि गीत बेहतर से बेहतर बने और इसके लिए वो खूब मेहनत भी करती थीं. उन्होंने अपने परिवेश से बाहर जाकर या लोकप्रियता के लिए कोई समझौता नहीं किया. यहां तक की वे गीतों की रिकाॅर्डिंग के लिए भी बाहर जाना पसंद नहीं करती थीं और पटना में ही गीतों की रिकाॅर्डिंग करवाती थीं. अनुराग कश्यप की फिल्म गैंग आॅफ वासेपुर का गाना भी उन्होंने पटना में ही रिकाॅर्ड करवाया था. मैंने प्यार किया के गाने की रिकाॅर्डिंग के लिए वो मुंबई गई थीं और इस गाने ने उनकी लोकप्रियता को बाॅलीवुड में भी काफी बढ़ा दिया था. 

शारदा जी में सीखने की ललक और सहजता दोनों थी : निराला

पत्रकार निराला बताते हैं कि उन्होंने वर्षों तक शारदा जी के साथ काम किया. उनके घर आना-जाना लगा रहता था. पटना में उनके घर पर एक लड़की काम करती थी जो झारखंड की थी. काम खत्म करने के बाद शारदा जी जहां उन्हें गाना सिखाती थीं, वहीं उनसे नागपुरी गाने सीखती भी थीं. उनके अंदर यह भावना नहीं थी कि मैं इतनी बड़ी गायिका हूं तो किसी से क्यों सीखूं. वो लगातार सीखती थीं. उनका कलाकर्म अद्‌भुत था. पटना के राजेंद्रनगर में रोड नंबर दस में उनका घर है. उन्होंने नारायणी राग पर अपने घर का नाम नारायणी रखा था. 

वो बहुत सहज और सरल हृदय भी थीं. एक बार जब उनके घर पर चोरी हुई थी और चोरी में उनके घर पर काम करने वाला व्यक्ति शामिल था. जब उनके पति ने नाराज होकर पुलिस से शिकायत करने की बात की तो मैं उस वक्त उनके घर पर ही था. जब शारदा जी को यह पता चला कि पुलिस आएगी और चोरी करने वाले व्यक्ति के साथ मारपीट होगी उसे जेल जाना पड़ेगा तो उन्होंने मुझे बुलाया और कहा क्या सच में पुलिस उसके साथ मारपीट करेगी? तुम ऐसा करो कि मेरी शादी की साड़ी भी चोरी हो गई है बस उसे दिलवा दो और उसे छोड़ दो शिकायत मत करो. मैं उससे बात करूंगी कि उसने चोरी क्यों की. उसके बाल बच्चे हैं यह ठीक नहीं होगा.

राजनीति से रहीं दूर शारदा सिन्हा

Copy Of Add A Heading 2024 11 06T183223.776
पैसे के लिए शारदा सिन्हा ने नहीं किया कभी समझौता, चाहे सामने गुलशन कुमार हों या अनुराग कश्यप 2

शारदा सिन्हा ने कभी भी किसी पार्टी के खिलाफ या पक्ष में कुछ नहीं कहा. वे राजनीति से दूर रहीं. उन्होंने किसी भी पार्टी से लाभ लेने की कोशिश नहीं की. उन्होंने अपने कार्यों से मिसाल कायम किए बयानबाजी से दूर रहीं. निराला बताते हैं कि आप शारदा जी अश्लीलता पर बात करते हुए भी नहीं पाएंगे, लेकिन उन्होंने कर्म शालीनता और मर्यादित भाषा के लिए किया, जो उनका मैसेज था. वो कहती थीं गीत सुनने की चीज है, देखने की नहीं. इसलिए वो गीत पर काम करती थीं, अपने प्रजेंटेशन पर नहीं. उन्हें पैसे का मोह नहीं था और ना ही उन्होंने काम पाने के लिए कभी मर्यादा का उल्लंघन किया. उन्होंने शिव नचारी, विद्यापति के गीतों को आवाज दी.

शारदा सिन्हा के लिए सबसे बड़ा सम्मान क्या था?

शारदा सिन्हा बताती हैं कि वो एक बार बेगुसराय कार्यक्रम के लिए गई थीं तो डेढ़ किलोमीटर तक लोग उनके स्वागत के लिए हाथ में माला लेकर खड़े थे, क्योंकि वो बेगूसराय की बहू थीं. यह भावुक करने वाला पल था. दूसरी घटना का जिक्र करते हुए वो बताती थीं कि जब वे माॅरिशस गई थीं तो जो ड्राइवर उन्हें लेने आया था वो उन्हें नहीं पहचानता था. लेकिन उसकी गाड़ी में उनका गीत बज रहा था, तो उन्होंने पूछा यह किसका गीत है, तो उसने शिकायती अंदाज में कहा था आप भारत से आई हैं और भारत की सबसे बड़ी गायिका की आवाज नहीं पहचानती. 

बिहारी लोकगीतों को समृद्ध किया : विनोद अनुपम

बिहार नृत्य कला अकादमी के अध्यक्ष विनोद अनुपम बताते हैं कि मेरा शब्द उनसे 20-25 साल पुराना है. उनकी गायन में अनोखी रुचि थी, लेकिन उन्होंने हमेशा मर्यादा का ख्याल रखा, कभी भी कोई समझौता नहीं किया. उन्होंने श्रुति परंपरा के गीतों को समृद्ध और संरक्षित करने का काम किया. वे पटना में कम से कम एक हजार लोगों को नाम से जानती थीं और सबके साथ उनका रिश्ता था और वे उसे निभाती भी थीं. एक शिक्षिका के रूप में वो संगीत के तत्वों को समझती थीं और इसका उपयोग उन्होंने गीतों को संरक्षित और समृद्ध करने में किया. लोकप्रियता के लिए कोई समझौता नहीं किया.

हृदयनारायण झा के नौ छठ गीतों को अस्पताल से किया था जारी

शारदा सिन्हा ने एम्स में भर्ती रहते हुए भी छठ के नौ गीतों को जारी किया था. यह गीत हृदयनारायण झा ने लिखे थे. दुखवा मिटाए छठी मैया, राउर आसरा हमार नाम से यह अलबम आया है. इस अलबम के बारे में बात करते हुए हृदयनारायण झा ने बताया कि इसमें नौ गीत हैं, जिसमें से पांच मैथिली और चार भोजपुरी में हैं. हृदयनारायण झा ने बताया कि जब मैं गीत लिखता था, यह ध्यान रखता था कि यह गीत शारदा जी गाएंगी, इसलिए भाषा और संगीत की मर्यादा का ध्यान रखता था. कई बार शारदा जी के साथ गीत को लेकर चर्चा भी होती थी. वो हमेशा कहती थीं कि गीत इस तरह के हों कि वो व्रती की संवेदनाओं से जुड़ सकें. वो गीत की संस्कृति को जीती थीं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें