समस्तीपुर : बिहार कोकिला शारदा सिन्हा के निधन से महिला महाविद्यालय में शोक की लहर है. ज्ञात हो कि बिहार कोकिला का जुड़ाव महिला महाविद्यालय समस्तीपुर से रहा. वे यहां अक्टूबर 2017 तक संगीत के शिक्षिका में रूप में यहां की छात्रा को मार्गदर्शन देती रही. महिला महाविद्यालय के सहकर्मियों ने कहा कि एक मृदुभाषी और मिलनसार व्यक्तित्व की थी. स्टाफ रूम में जब भी होती थी, अपना गीत गुन गुनाने लगती थी. जिस दिन वह अवकाश में रहती थी, उस दिन कॉलेज में मायूसी रहती थी. उनके साथ बिताए पलों को याद करते हुए प्रधानाचार्या प्रो सुनीता सिन्हा बहुत ही भावुक और गहरे शोक में है और कहा कि हमने अपने दीदी को खो दिया है. पद्मभूषण शारदा दीदी भारतीय संगीत जगत की एक महान विभूति और हम सब की गौरव थी. उनकी आत्मा आज इस दुनिया से विदा हुई, लेकिन उनकी समयातीत संगीत यात्रा हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी. आपकी संगीत यात्रा ने हमें सिखाया कि संगीत क्या है और कैसे यह हमारे जीवन को बदल सकता है.
इतने बड़े सेलिब्रिटी होने के बाद भी उनमें अहंकार का नामों निशान नहीं था
डॉ विजय कुमार गुप्ता ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हम सब शादियों और छठों के गीतों को सुनते हुए बड़े हुए है और जब इस महाविद्यालय में आये और शारदा दी को सामने देखा तो एक पल के लिए विश्वास ही नहीं हुआ कि हम उनके सामने है. जिनसे मिलने के लिए इंतजार करना पड़ता है. इतने बड़े सेलिब्रिटी होने के बाद भी उनमें अहंकार का नामों निशान नहीं था. मैथिली के प्रो अरुण कुमार कर्ण, डॉ सोनी सलोनी सुषेण कुमार, राधा कुमारी, डॉ नेहा जायसवाल, डॉ सुरेश साह, डॉ कविता वर्मा, डॉ फरहत जबीन, डॉ पुष्कर झा, डॉ रेखा कुमारी, डॉ श्रीविद्या, डॉ बबली, डॉ शबनम, डॉ पूनम, डॉ स्वीटी दर्शन ने बताया कि शारदा सिन्हा मतलब सुकून, शांति जीवन के कोलाहल से कुछ देर की शांति चाहिए तो आंख बंद करके इनकी गीत हमेशा गा ले. शादी हो तो शारदा सिन्हा जी का गीत, सावन आया तो इनका गीत और छठ तो इनके गीत के बिना कभी पूरा हो ही नहीं सकता. देवी जैसा स्वरूप, बड़ी सी बिंदी, हमेशा मुंह में पान, लाल लिपस्टिक. एक संपूर्ण व्यक्तित्व की मलिका जो हमेशा दिलों दिमाग में बसी रहती हैं.
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