राणा प्रताप, रांची झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में 50,000 हेक्टेयर वन भूमि के अतिक्रमण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी व राज्य सरकार का पक्ष सुना. पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने प्रार्थी को निर्देश दिया कि वह अगली सुनवाई की तिथि तक उन व्यक्तियों को नाम से अभियोजित करे, जिन पर वन भूमि पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाया है. खंडपीठ ने यह भी कहा है कि इस आदेश का अनुपालन नहीं करने पर दोनों जनहित याचिका खारिज मानी जायेगी. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने पांच मार्च 2025 की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी आनंद कुमार ने मामले में स्वयं पैरवी की. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि चास, बोकारो, धनबाद, हजारीबाग, गिरिडीह, कोडरमा, जमशेदपुर, रांची में लगभग 50,000 हेक्टेयर वन भूमि को अतिक्रमण के नाम पर बेच दिया गया है. कई जगहों पर म्यूटेशन भी करा लिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका संख्या-202/1995 में फैसला दिया था कि पांच नवंबर 2002 तक वन भूमि पर जो अतिक्रमण है, उसे खाली करा लें, नहीं तो पांच लाख प्रति हेक्टेयर प्रतिमाह वसूल कर अलग खाता खोल कर जमा करना होगा. वन अधिकारियों ने वन भूमि का अतिक्रमण करने दिया. जंगलों में पेड़ों की अवैध तरीके से कटवा कर उसे दूसरे राज्यों में बेचा गया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं कराया गया. अभी भी हजारों हेक्टेयर वन भूमि अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है. आनंद कुमार ने यह भी बताया कि महालेखाकार झारखंड ने भी अपने शपथ पत्र में वन भूमि को बेचने के मामले को स्वीकार किया है. 896 करोड़ रुपये की इमारती लकड़ी बेचने का मूल्य भी तय किया है. अनुमानित 8.46 करोड़ पेड़ अवैध तरीके से काटने की बात कही गयी है. पेड़ कटने व अतिक्रमण का प्रभाव गंभीर रूप से स्थानीय पारिस्थितिकी (इकोलॉजी) तंत्र पर भी पड़ा है. वहीं राज्य सरकार ने 30,066 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण की बात कही है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सेवानिवृत्त वन क्षेत्र पदाधिकारी आनंद कुमार ने जनहित याचिका दायर कर राज्य में 50,000 हेक्टेयर वन भूमि को बेचने, अतिक्रमण करने व पेड़ों की अवैध कटाई कर दूसरे राज्यों में बेचने का आरोप लगाया है. इस पूरे मामले की जांच सीबीआइ व इडी से कराने की मांग की है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है