Jharkhand Chunav, रांची, अविनाश : पलामू के छतरपुर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास काफी रोचक रहा है. अगर आंकड़ों पर गौर करें, तो 1985 के चुनाव के बाद अब तक यहां की जनता ने लगातार किसी भी प्रत्याशी को दोबारा मौका नहीं दिया है. दो बार इस इलाके के लोगों ने महिला प्रत्याशी को भी प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया है. इस बार के चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने पुष्पा देवी भुईया पर ही भरोसा जताया है. ऐसे में ये देखना दिलचस्प है कि पुष्पा देवी को दोबारा चुनाव जीतती है या नहीं. दूसरी तरफ राधाकृष्ण किशोर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनावी रण में हैं. इंडिया गठबंधन में शामिल दो दल कांग्रेस और राजद के उम्मीदवार रहने से चुनाव काफी रोचक हो गया हैं. राजद से विजय राम चुनावी मैदान में हैं.
1977 में अस्तित्व में आया छतरपुर
छतरपुर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास अधिक पुराना नहीं है. यह विधानसभा 1977 में अस्तित्व में आया.1977 का चुनाव जोरावर राम (अब दिवंगत ) ने जीता था. 1980 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार राधाकृष्ण किशोर चुनाव जीते थे. 1985 में भी जनता ने किशोर को मौका दिया, लेकिन इसके बाद हर दूसरे चुनाव में यहां के लोगों ने अपना जनप्रतिनिधि बदल दिया. 1990 में जनता दल के लक्ष्मण राम ने चुनाव जीता. 1995 में किशोर ने फिर वापसी. 2000 में राजद के मनोज कुमार (वर्तमान में भाजपा) ने चुनाव जीता. 2005 में जनता ने फिर से किशोर को मौका दिया. 2009 में सुधा चौधरी ने जीत दर्ज की. 2014 में एक बार फिर किशोर ने वापसी की, लेकिन 2019 में उन्हें पुष्पा देवी भुईया ने हरा दिया.
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2009 में पहली बार सुधा बनी थी पहली महिला विधायक
छत्तरपुर विस में वर्ष 2009 में पहली बार महिला विधायक सुधा चौधरी चुनी गयी थीं. सुधा ने जदयू के टिकट पर चुनाव जीता था. अर्जुन मुंडा की सरकार में मंत्री भी बनीं. लेकिन 2014 का चुनाव हार गयीं. फिर 2019 के चुनाव में भाजपा ने पुष्पा देवी भुईया को अपना प्रत्याशी बनाया था, तो पुष्पा देवी ने भी जीत दर्ज की. इस तरह अब तक दो बार महिला प्रत्याशी का चुनाव जीतने का भी इतिहास रहा है. 2024 के चुनाव में भी भाजपा ने पुष्पा देवी को ही अपना उम्मीदवार बनाया हैं
किशोर ने कांग्रेस में वापसी की
2024 के चुनाव में किशोर एक बार फिर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. 1980 में किशोर ने इस विधानसभा क्षेत्र से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. एकीकृत बिहार के जमाने तक वह कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव लड़ते रहे, लेकिन राज्य गठन के बाद हुए चुनाव में वह कांग्रेस छोड़कर जदयू से लड़े और जीत दर्ज की. 2009 में फिर वह कांग्रेस से ही लड़े. 2014 में भाजपा के टिकट पर लड़े और जीते. 2019 में जब भाजपा ने टिकट नहीं दिया, तो आजसू से चुनाव लड़े. इस बार 2024 का चुनाव फिर से कांग्रेस के टिकट पर लड़ रहे हैं.
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