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कानूनी साक्षरता सामाजिक-आर्थिक न्याय का सोपान: प्रो पासवान

राष्ट्रीय कानूनी साक्षरता दिवस के अवसर पर कानूनी साक्षरता और सेवा के महत्व पर परिचर्चा

जमुई. राष्ट्रीय कानूनी साक्षरता दिवस के अवसर पर कानूनी साक्षरता और सेवा के महत्व विषय पर एक परिचर्चा वरीय अधिवक्ता प्रभात कुमार भगत की अध्यक्षता में हुई. अपने संबोधन में अधिवक्ता प्रभात कुमार भगत ने कहा कि राष्ट्रीय कानूनी साक्षरता दिवस मनाने का उद्देश्य देश के सभी नागरिकों के लिए उचित, निष्पक्ष न्यायिक प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए जागरूकता फैलाना है. इसे राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस के रूप में भी हर वर्ष नौ नवंबर को मनाया जाता है, क्योंकि आज ही के दिन नौ नवंबर 1987 को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम बना था. इसी की स्मृति में यह दिवस मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि कानून का ज्ञान जीवन का आधार है. इसलिए देश के हर नागरिकों को कानूनी रूप से साक्षर बनाना जरूरी है. कानूनी सेवा अथॉरिटी एक्ट के तहत कानूनी सलाह और कार्रवाई के लिए लोक अदालत गठित करने का प्रावधान न्याय को सुलभ बनाता है. मौके पर उपस्थित केकेएम कॉलेज के स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ गौरी शंकर पासवान ने कहा कि कानूनी साक्षरता और सेवा सामाजिक-आर्थिक न्याय का सोपान है. कानूनी साक्षरता से प्रत्येक समाज सशक्त होगा और प्रत्येक नागरिक सुरक्षित होंगे. कहते हैं कि कानून की भाषा सभी जानें, इसके बिना न चले कोई काज. जानो अपने हक और जिम्मेदारी, इसी में छिपा है जीवन का राज. कानून जानें और अपने हक पहचानें. कानून के ज्ञान से ही अधिकारों की सुरक्षा और सम्मान मुमकिन है. कानून का सही ज्ञान होना प्रत्येक नागरिकों के लिए जरूरी है. आजकल न्यायालयों में इतने मुकदमें दर्ज हैं कि जल्दी सुनवाई नहीं हो पाता. इसी कारण समय-समय पर लोक अदालत लगाया जाता है ताकि जल्द-से-जल्द लोगों की शिकायतों का समाधान हो, उन्हें न्याय मिले. उन्होंने कहा कि भारत में प्रतिवर्ष नौ नवंबर को कानूनी साक्षरता दिवस मनाया जाना समरस समाज की स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. अधिवक्ता रामचंद्र रविदास ने कहा कि कानूनी जागरूकता जनतंत्र का स्तंभ है. कानून का ज्ञान प्राप्त करना सभी का अधिकार है. न्याय पाना भी सभी लोगों का हक है, चाहे वह कमजोर, अज्ञानी और निर्धन ही क्यों न हो. त्वरित न्याय पाने का सुअवसर सभी को मिलना चाहिए. न्याय के लिए बिलंब भी न्याय की अवहेलना है. यह असंतोष और असुरक्षा का भाव पैदा करता है. लोक अदालतों के द्वारा नि:शुल्क कानूनी साक्षरता तथा कानूनी सेवा प्रदान किया जाना सराहनीय पहल है. एसपीएस महिला कॉलेज के असिस्टेंट प्रो संजीव कुमार सिंह ने कहा कि बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर ने संविधान के अनुच्छेद 39 ए में ऐसा प्रावधान किया है कि प्रत्येक राज्य सभी नागरिकों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करना सुनिश्चित करेगा. इसी के फलस्वरूप विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 लागू किया गया था. यह दिवस एक समान जल्दी न्याय पाने के लिए लोगों को जागरूक बनाता है. मौके पर शिक्षक दिनेश मंडल, प्रो आनंद कुमार सिंह, डॉ निरंजन कुमार दुबे सहित कई प्रबुद्ध लोगों ने कहा कि राष्ट्रीय कानूनी साक्षरता दिवस लोगों को उनके मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक करने में सहायक सिद्ध हुआ है. वर्तमान परिपेक्ष्य में कानूनी साक्षरता और जागरूकता कैंप गांव, कस्बा तथा शहर में लगाये जाते हैं ताकि वहां आकर कोई भी व्यक्ति नि:शुल्क कानूनी सेवा का ज्ञान ले सकें और न्याय पाने के रास्ते और अधिकार को जान सकें.

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