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अक्षय नवमी पर आंवला वृक्ष की पूजा आज

जिले के विभिन्न स्थानों पर अक्षय नवमी पर रविवार को आंवला वृक्ष की पूजा-अर्चना की जायेगी. इस दिन अलग-अलग मंदिरों में अलग-अलग आयोजन होंगे. इस दौरान भगवान विष्णु की भी पूजा होती है. मान्यता है कि नवमी, आंवला पूजन, कुष्मांडा पूजन, धात्री पूजन के नाम से जाना जाने वाले अक्षय नवमी के दिन कोई भी कार्य करें शुभ होता हैं. इस दिन को अक्षय तृतीया जैसा फल प्राप्त होता है.

जिले के विभिन्न स्थानों पर अक्षय नवमी पर रविवार को आंवला वृक्ष की पूजा-अर्चना की जायेगी. इस दिन अलग-अलग मंदिरों में अलग-अलग आयोजन होंगे. इस दौरान भगवान विष्णु की भी पूजा होती है. मान्यता है कि नवमी, आंवला पूजन, कुष्मांडा पूजन, धात्री पूजन के नाम से जाना जाने वाले अक्षय नवमी के दिन कोई भी कार्य करें शुभ होता हैं. इस दिन को अक्षय तृतीया जैसा फल प्राप्त होता है.

महंत विजयानंद शास्त्री ने बताया कि कुपेश्वरनाथ मंदिर में रात्रि में भंडारा होगा. वहीं महंत अरुण बाबा ने बताया कि आदमपुर स्थित शिव शक्ति मंदिर में खिचड़ी व अन्य व्यंजन का भंडारा होगा. वहीं चुनिहारी टोला स्थित राणी सती मंदिर में सामूहिक मंगलपाठ होगा. इसे लेकर दादीजी सेवा समिति के अध्यक्ष अनिल खेतान, ओमप्रकाश कानोडिया व मनोज चुड़ीवाला लगे हैं.

रवि योग होगी अक्षय नवमी

अक्षय नवमी हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है. इसे विशेष रूप से शुभ कार्यों के लिए जाना जाता है, क्योंकि इस दिन किए गए अच्छे कार्यों का फल कभी समाप्त नहीं होता. पंडित समीर मिश्रा ने बताया कि इस साल अक्षय नवमी रवि योग में मनाया जायेगा. देवउठनी एकादशी के दो दिन पहले अक्षय नवमी पड़ने के कारण भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है. आंवला नवमी का का पूजन कार्तिक शुक्लपक्ष के नवमी तिथि को मनाया जाता है. अक्षय नवमी के व्रत में आवले के पेड़ तथा भगवन विष्णु के पूजन किया जाता है. धार्मिक मान्यता है अक्षय नवमी के दिन से लेकर पूर्णिमा तक भगवन विष्णु आवले के पेड़ के नीचे निवास करते है.

अक्षय नवमी का शुभ मुहूर्त

10 नवंबर 2024 दिन रविवार को व्रत किया जायेगा. नवमी तिथि का आरंभ नौ नवंबर शनिवार रात्रि 8:00 से

नवम तिथि का समापन एवं 10 नवंबर रविवार संध्या 04 :44 मिनट तक. रवियोग 10 नवंबर को सुबह 10:59 से 06: 04 बजे होगा.

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बगीचा उजड़ा, आंवला का पेड़ भी

इस्टर्न बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सीए प्रदीप झुनझुनवाला ने बताया कि बचपन में आंवला नवमी पर आंवला के पेड़ की पूजा होती है. पहले गांव ही नहीं, शहर के मोहल्ले में भी छोटे-बड़े बगीचे हुआ करता थे. इसमें आंवला का पेड़ जरूर होता था. कोलकाता के सूरजमल-नागरमल बाजोरिया के सुंदर वन बगीचा में आंवला के कई पेड़ थे. यहां पर आंवला नवमी पर लोगों की भीड़ लगती थी. धीरे-धीरे बगीचा उजड़ता गया और आंवला का पेड़ भी खत्म हो गया. अब मंदिर में आंवला का पेड़ नाममात्र पूजा के लिए देखे जाते हैं. आंवला स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है. इसमें विटामिन व आयरन भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं. प्रतापगढ़ व बनारस का आंवला दूर-दूर तक मशहूर है. आंवला के उत्पादन को बढ़ावा मिले, तो आंवला पाउडर, आंवला जूस व आंवला का मुरब्बा तैयार व्यावसायिक क्षेत्र बढ़ा सकते हैं. आंवला पर्यावरण की दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है.

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