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लेकफ्रंट की चकाचौंध को दिखाया तो लोगों ने कहा हिचकोले वाली सड़क कब बनेगी ?

लेकफ्रंट की चकाचौंध को दिखाया तो लोगों ने कहा हिचकोले वाली सड़क कब बनेगी ?

एमएससीएल के आधिकारिक एक्स व फेसबुक पेज पर फोटो पोस्ट होते ही शहर के लोगों ने दी कड़ी प्रतिक्रियामुजफ्फरपुर. ….शानदार चीजों में समय लगता है, सिकंदरपुर लेकफ्रंट परियोजना मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से विकसित की गयी है. इस कैप्शन के साथ मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी लि (एमएससीएल ) के आधिकारिक एक्स व फेसबुक पेज पर हाल में सिकंदरपुर लेकफ्रंट की करीब एक दर्जन तस्वीरें शेयर की गयी, जिसमें रोशनी से जगमग लेक को दिखाया गया है. 30 अक्तूबर व 8 नवंबर को हुए दो पोस्ट के बाद शहर के लोगों ने भी अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं. लोगों एमएससीएल से यह भी सवाल पूछ दिया कि शहर में हिचकोले खाने वाली पेरिफेरल व स्पाइनल रोड की स्थिति कब तक ठीक होगी. आयुष पराशर नाम के यूजर ने लिखा कि पांच साल होने को है, शहर का रोड कब पूरा होगा, इस बारे में भी जानकारी दी जाए. राहुल राजपूत नाम के युवक ने लिखा कि कुछ काम नहीं हो रहा है, रोड बनाते है, फिर तोड़ते है, फिर बनाते है, उसके बाद पाइप लाइन डालने के लिये फिर तोड़ते हैं. यह सिलसिला पिछले दो साल से शहरवासी झेल रहे है. कहीं हिचकोला तो कही सीवर के निकले ढक्कन से गिर कर लोग घायल हो रहे हैं.

गुणवत्ता पर भी लोगों ने उठाया सवाल

सिकंदरपुर लेक फ्रंट की जगमग रोशनी की तस्वीर पर लोगों ने लिखा की यह सिर्फ चार दिन के लिये है, उसके बाद अंधेरी रात ही रहेगी, डीके राय ने परियोजना पर सवाल उठाते हुये लिखा की लाइट के इस चकाचौंध में इस लेक फ्रंट के निर्माण में की गयी, गुणवत्ता के समझौते को छिपाया जा रहा है. बता दें कि हाल में यह घूमने आने वाले लोगों को बैठने के लिये कुर्सी का निर्माण कराया गया था. जो कई जगहों पर निर्माण के कुछ दिन बाद उद्घाटन से पहले ही टूट कर ध्वस्त हो गयी.

छह महीने पर एक अपडेट पर भी उठाया सवाल

मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी लि. (एमएससीएल ) का एक्स व फेसबुक पर आधिकारिक पेज बना है. तकनीकी रूप से कैमरा व अन्य सुविधाओं को लेकर हाइटेक होने का दावा किया जा रहा है. लेकिन इस पेज पर छह महीन से एक साल पर एक पोस्ट या योजना के बारे में लोगों को जानकारी दी जाती है. इस पर भी लोगों ने सवाल उठाया है. जबकि स्मार्ट सिटी योजना और शहर के बारे में इस पेज पर नियमित अपडेट करना है.

एक स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का यह हाल भी

शहर के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए अलग-अलग एक दर्जन से अधिक जगहों पर वाटर एटीएम लगाया गया था. अधिकांश जगहों पर वाटर एटीएम की शुरूआत भी नहीं हुई. महज कुछ दिनों में वाटर वाटर एटीएम का ढांचा अतिक्रमण की चपेट में चला गया. अब इस वाटर एटीएम के ढांचा पर चारों ओर से कपड़ा लटका कर बेचा जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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